रोते-बिलखते लोग, ढह चुकी बिल्डिंगें, हर तरफ चीख पुकार, ईंट-पत्थरों के बीच अपनों को तलाशते लोग, जहां देखो वहां तबाही का मंजर…यह तस्वीर है अफ्रीकी देश मोरक्को की, जो 7.2 की तीव्रता का भूकंप आने के बाद पूरी दुनिया ने देखी। बर्बादी का ऐसा मंजर कि लोगों की आंखों में आंसू आ गए। मलबे के नीचे दबे लोगों को बचाने की कोशिश जारी है। आपदा को देखते हुए सरकार ने 3 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित कर रखा है।

Image Credit Google
यह भी पढ़ें: India-Europe Economic Corridor को लेकर मोदी-बाइडेन समेत किस नेता ने क्या कहा?
12वीं शताब्दी में बनी मस्जिद डैमेज
वहीं भूकंप से अब तक 2 हजार लोगों की जान जा चुकी है। करीब 3 हजार लोग घायल हुए। सेना, पुलिस और सशस्त्र बल के जवान बचाव कार्यों में जुटे हैं। ज्यादातर इमारतें ध्वस्त हो चुकी हैं। सड़कों पर ही अस्पताल चल रहे हैं। एटलस पहाड़ी क्षेत्र में आए भूकंप ने मिट्टी से बने घरों को ताश के पत्तों की तरह ढेर घर दिया। किसी ने परिवार खोया तो किसी से सपनों का आशियाना छिन गया। 12वीं शताब्दी में बनी प्रसिद्ध कौतौबिया मस्जिद डैमेज हुई।

Image Credit Google
यह भी पढ़ें: भारत आए बिना युद्ध के मोर्चे पर पुतिन की बड़ी जीत! G20 के घोषणा पत्र से खिला रूसी राष्ट्रपति का चेहरा
1960 में आया था ऐसा भयानक भूकंप
प्रसिद्ध लाल दीवार को भी भूकंप ने हिलाकर रख दिया। कई जगह दीवार ढह गई है। संयुक्त राज्य भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, मोरक्को में आए भूकंप का केंद्र मराकेश से 72 किलोमीटर उत्तर पूर्व में 18.5 किलोमीटर की गहराई में था। करीब 60 साल बाद ऐसा विनाशकारी भूकंप आया। इससे पहले 1960 में भूकंप ने मोरक्को में तबाही मचाई थी। तब करीब 12 हजार लोग मारे गए थे। तीव्रता के लिहाज से इतिहास का सबसे भयानक भूकंप 1960 में चिली में आया था।

Image Credit Google

Image Credit Google