Kam Air Flight 904 Crash Anniversary: 11 हजार फीट की ऊंचाई, चैपेरी पर्वत की चोटी और बर्फीला तूफान, हवाई जहाज ऐसे चपेट में आया कि उसके परखच्चे उड़ गए। हादसे में क्रू मेंबर्स समेत सभी 105 लोग मारे गए। 97 यात्री थे और 8 क्रू मेंबर्स थे।
आज से 19 साल पहले 3 फरवरी 2005 को यह हादसा अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से 20 मील दूर हुआ, जो इतिहास का सबसे घातक हवाई हादसा रहा। हेलिकॉप्टर बचाव अभियान दल ने जहाज के सेंसरों से मलबे वाली जगह की पुष्टि की और हादसास्थल तक पहुंचे।
वहीं गुरिल्ला लड़ाकों पर हेलिकॉप्टर पर हमला करने के आरोप लगे, जिन्हें तालिबान नेता मुल्ला दादुल्ला ने सिरे से नकार दिया और हादसे पर दुख व्यक्त किया।
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— Airlines Disasters Official (@KeanuMahar57125) June 30, 2023
चैपेरी पर्वत पर मिला जहाज का मलबा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 3 फरवरी 2005 को अफगानिस्तान में 5 साल का सबसे भीषण बर्फ़ीला तूफ़ान आया, जिसकी चपेट में आने से हवाई जहाज का संपर्क टूट गया। काम एयरलाइंस की फ्लाइट 904 ने एयर बोइंग 737-200 में हेरात एयरफील्ड से काबुल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए घरेलू उड़ान भरी थी, लेकिन स्थानीय समयानुसार शाम के करीब 4 बजे हवाई जहाज काबुल के पास लापता हो गया।
काबुल के हवाई यातायात नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (ISAF) और अफगान नेशनल आर्मी (ANA) ने जहाज की तलाश शुरू की, लेकिन खराब मौसम में बचाव अभियान में दिक्कत आई। आखिरी लोकेशन ट्रेस करके बचाव अभियान चैपेरी पर्वत पर पहुंचा तो जहाज का मलबा मिला।
बर्फ में कई फीट नीचे दबा था जहाज
2 डच अपाचे हेलिकॉप्टरों ने 4 फरवरी की सुबह करीब साढ़े 9:30 बजे पहाड़ की चोटी पर विमान का पिछला हिस्सा देखा, लेकिन हादसास्थल तक पहुंचने में बचाव दल को 4 दिन लग गए। अफगानिस्तान सरकार ने एक 5 सदस्यीय टीम को पहाड़ के शिखर पर उतारने के आदेश दिए।
कमर तक गहरी बर्फ को पार करते हुए बचाव दल साइट पर पहुंचा, लेकिन वहां कोई मानव अवशेष नहीं मिले, बल्कि जहाज का मलबा बिखरा हुआ मिला। जहाज ऊपर से लगभग 50 फीट (15 मीटर) नीचे पहाड़ की चोटी के पास पूर्व की ओर बढ़ते हुए रिज लाइन से टकराया। जहाज के आगे का हिस्सा टुकड़ों में बंट गया था और बर्फ में दब गया था। जहाज नीचे की ओर धंसा था। ऊपर सिर्फ पिछला हिस्सा दिख रहा था।