Donald Trump News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। दावा किया गया है कि जेफरी एपस्टीन केस में राष्ट्रपति ट्रंप फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) के मुखबिर थे। वे एजेंसी के लिए एपस्टीन की जासूसी करते थे। यह दावा अमेरिका के हाउस स्पीकर के अध्यक्ष माइक जॉनसन ने किया है। उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप का बचाव किया है। उन्होंने एपस्टीन की जांच से जुड़ी सभी फाइलों को जारी करने के प्रयास को ‘डेमोक्रेटिक चीटिंग’ बताया।
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केस के दस्तावेज जारी करने की हो रही मांग
बता दें कि कैपिटल हिल में पत्रकारों से बात करते हुए माइक जॉनसन ने यह दावा ऐसे समय में किया है, जब एपस्टीन के यौन शोषण केस से जुड़े दस्तावेज जारी करने का प्रेशर न्याय विभाग पर डाला जा रहा है। एपस्टीन के पूरे नेटवर्क, संपर्कों, कनेक्शन और मामले की पूरी जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है। इसके चलते जॉनसन ने दावा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप तब से FBI के मुखबिर के तौर पर काम कर रहे थे, जब जेफरी एपस्टीन ने राष्ट्रपति ट्रंप का मार-ए-लागो क्लब जॉइन किया था।
ट्रंप ने एपस्टीन को निकाला था अपने क्लब से
हालांकि जॉनसन के दावों पर व्हाइट हाउस ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन जॉनसन ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप खुद जॉनसन की हरकतों को धोखा, भयानक और घिनौना अपराध मानते हैं। जब उन्होंने पहली बार एपस्टीन के हरकतों के बारे में सुना था तो उसे अपने क्लब से बाहर निकाल दिया था। ट्रंप बतौर FBI मुखबिर एपस्टीन को महिलाओं के साथ अपराध करने से रोक रहे थे। बतौर FBI राष्ट्रपति ट्रंप उन महिलाओं के बारे में भी जानते हैं, जो एपस्टीन का शिकार बनी हैं।
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क्या है जेफरी एपस्टीन केस?
बता दें कि जेफरी एपस्टीन अमेरिका के फाइनेंसर और इन्वेस्टर थे। एपस्टीन पर नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण और सेक्स ट्रैफिकिंग के आरोप लगे थे। मामले की जांच में एपस्टीन का कनेक्शन अमेरिका की नामी हस्तियों, राजनेताओं और व्यापारियों से होने की बात सामने आई। मसाज कराने के बहाने बुलाकर करीब 36 नाबालिग लड़कियों को यौन शोषण करने का आरोप एपस्टीन पर लगा है।
10 अगस्त 2019 को न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन करेक्शनल सेंटर में उसकी मौत हो। गई थी, जिसका कारण स्पष्ट नहीं हुआ है। सितंबर 2025 में हाउस ओवरसाइट कमेटी ने केस से जुड़ी 33000 पेजों की फाइल जारी की थी, जिसमें कोर्ट के दस्तावेज, बॉडीकैम फुटेज और पीड़ितों के इंटरव्यू थे।