Japanese Army Unit 731 : इंसान भले ही खुद को सभ्य और संस्कारी दिखाता हो, लेकिन उसके अंदर भी राक्षस का रूप होता है। कुछ लोग अपने अंदर के राक्षस को बाहर नहीं आने देते हैं तो कुछ के बाहर आ जाते हैं। इतिहास में ऐसे कई वाकये सामने आए हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण जापानी ‘यूनिट 731’ है। अब आपके मन में सवाल उठता होगा कि ये जापानी ‘यूनिट 731’ क्या है?
दुनिया की खौफनाक प्रयोगशालाओं में से एक जापानी ‘यूनिट 731’ भी थी, जिसका संबंध द्वितीय विश्वयुद्ध से था। चीन के जिले पिंगफांग में यह ‘यूनिट 731’ थी, जिसका संचालन जापानी सेना की ओर से किया जाता था। इस लैब में जैविक हथियार बनाने के लिए इंसानों पर खतरनाक प्रयोग किए जाते थे। ‘यूनिट 731’ में जापानी सेना अपने दुश्मनों पर तरह-तरह के प्रयोग करती थी। उनके साथ जानवरों की तरह व्यवहार किया जाता था। तीन हजार से ज्यादा लोगों पर खतरनाक प्रयोग किए गए थे।
यह भी पढ़ें : दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हो गया, पर इस सैनिक को नहीं हुआ भरोसा, 29 साल तक अकेले जारी रखी जंग!
ठंडे और गर्म पानी में प्रयोग
इस लैब में लोगों के हाथ-पैर को बर्फ से भरे पानी के टब में डाला जाता था। फिर जमे हुए हाथ-पैर को गर्म पानी में पिघलाया जाता था। पता लगाया जाता था कि शरीर पर अलग-अलग तापमान का क्या असर पड़ता है।
वायरस और गन फायर का एक्सपेरिमेंट
इस लैब में इंसानों के शरीर पर खतरनाक वायरस का प्रयोग किया जाता था। फिर वायरस से प्रभावित अंगों को काटकर देखा जाता था कि वायरस फैला या नहीं। अगर इंसान जिंदा बच जाता था तो उस पर गन फायर का टेस्ट किया जाता था। यह पता लगाया जाता था कि गोली से इंसान को कितना नुकसान पहुंचा।
यह भी पढ़ें : क्या है Five Eyes अलायंस? जिसकी भारत-कनाडा तनाव के बीच हो रही चर्चा
प्रेशर चेंबर का टेस्ट
इस लैब का सबसे खतरनाक टेस्ट प्रेशर चेंबर था। एक कंटेनर के अंदर हवा का दबाव इतना बढ़ा दिया जाता था कि इंसान का शरीर फटकर बाहर आ जाता था। साथ ही पुरुष कैदियों को महिला के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाता था।