Jaish-e-Mohammed: पाकिस्तान का भविष्य वाकई ‘उज्ज्वल’ दिख रहा है, लेकिन आतंक की अंधेरी परछाइयों में. सोशल मीडिय पर वायर हो रहे एक नए वीडियो और सूत्रों से आई रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैय्यबा जैसे आतंकी संगठन अब बच्चों और महिलाओं को भी अपने कट्टरपंथी अभियान में शामिल कर रहे हैं.जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के बच्चे खुलेआम भारत के खिलाफ जहर उगलते नजर आ रहे हैं. ‘हिंदुस्तान को मिटा देंगे’ जैसे नारे लगाते हुए, ‘जिहाद’ को महान बताकर अपनी नई पीढ़ी को हिंसा के रास्ते पर मोड़ रहे हैं.
अब महिलाओं को भी दे रहा जिहादी ज्ञान
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के कई मदरसों और निजी संस्थानों में ‘जिहादी शिक्षण’ अब एक नई ‘मिशनरी क्लास’ की तरह चलाया जा रहा है, जहां मासूम बच्चों को ‘कश्मीर की आजादी’ के नाम पर हथियार उठाने की ट्रेनिंग दी जा रही है.
इसी बीच खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि जैश और लश्कर अब महिला आतंकियों की भर्ती पर भी ध्यान दे रहे हैं. महिलाओं के लिए अलग ऑनलाइन ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किए जा रहे हैं जिसमें हथियारों की जानकारी, नकली आईडी बनाने की ट्रेनिंग और सोशल मीडिया के जरिये फंडिंग जुटाने जैसे ‘डिजिटल जिहाद’ के तरीके सिखाए जा रहे हैं.
पाकिस्तान मासूमों को बना रहा ढाल
सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, यह पाकिस्तान की नई रणनीति है, जब आतंकी नेटवर्क पर दबाव बढ़ा, तो उन्होंने ‘मासूम चेहरों’ को ढाल बनाना शुरू कर दिया. लेकिन सवाल यह है कि जब भारत जवाब देगा, तो क्या पाकिस्तान फिर से वही पुराना राग अलापेगा कि ‘हमारी निर्दोष महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया गया’? लेकिन सच यह है कि पाकिस्तान की जमीन पर जिहाद की नई फसल बोई जा रही है.
महिलाओं की भर्ती और ट्रेनिंग
ऑडियो मैसेज में अजहर ने बताया कि महिलाओं की भर्ती और ट्रेनिंग कैसे कराई जाएगी. यह ट्रेनिंग जैश के लंबे समय से चल रहे पुरुष रंगरूट कार्यक्रम की तर्ज पर होगा और उन्हें संगठन के “ग्लोबल जिहाद” मिशन में जोड़ा जाएगा. अजहर ने कहा कि जैसे पुरुष सदस्य 15 दिन का “दौरा-ए-तरबीयत” कोर्स करते हैं, वैसे ही महिलाएं भी “दौरा-ए-तस्किया” नामक एक इंडक्शन कोर्स करेंगी, जो बहावलपुर के मरकज उस्मान ओ अली में आयोजित होगा.
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जमात-उल-मोमिनात की शुरुआत
इससे पहले 8 अक्टूबर को अजहर ने औपचारिक रूप से ‘जमात-उल-मोमिनात’ के गठन की घोषणा की थी. इसके बाद 19 अक्टूबर को रावलकोट (पीओके) में “दुख्तारान-ए-इस्लाम” नामक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य महिलाओं को संगठन से जोड़ना था.










