नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान की बुशरा बीबी से निकाह इस्लामिक शरिया कानून का पालन नहीं करती थी। ये खुलासा खुद दोनों का निकाह करने वाले मौलाना ने की है। मौलवी ने कहा है कि यह शादी इस्लामिक शरिया कानून के मुताबिक नहीं हुई थी। जिस मौलवी ने यह खुलासा किया है वो पीटीआई की कोर कमेटी का सदस्य मुफ्ती सईद है। मुफ्ती सईद ने ही 2018 में बुशरा बीबी और पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान का निकाह कराया था। मुहम्मद हनीफ की याचिका पर इस्लामाबाद कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौलवी ने कहा कि निकाह शरिया कानून के मुताबिक नहीं था।
क्या होती इद्दत की अवधि?
मौलवी ने खुलासा किया कि यह समारोह बुशरा बीबी की इद्दत अवधि के दौरान हुआ था। मुस्लिम महिलाओं के लिए एक प्रतीक्षा अवधि जो उनके पति की मृत्यु के बाद या तलाक के बाद मनाई जाती है। इस दौरान मुस्लिम महिलाएं किसी दूसरे पुरुष से शादी नहीं कर सकती हैं क्योंकि इसे महिलाओं के लिए शोक की अवधि माना जाता है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि मौलवी ने कहा कि उसे 2018 में रक्षा आवास प्राधिकरण लाहौर में शादी की रस्म निभाने के लिए लाया गया था और उसने समारोह तभी किया जब बुशरा बीबी की बहन होने का दावा करने वाली एक महिला ने उसे मंजूरी दे दी। निकाह 1 जनवरी 2018 को संपन्न हुई थी।
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सईद ने किया बड़ा खुुलासा
सईद ने कहा कि महिला के आश्वासन के बाद निकाह कर दिया गया। शादी के बाद दोनों साथ रहने लगे। हालांकि, खान ने फरवरी 2018 में उनसे फिर से संपर्क किया और उनसे निकाह को फिर से आयोजित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि उनके निकाह के समय, बुशरा की इद्दत का समय पूरी नहीं हुई थी।
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इससे पहले बुशरा बीबी तब चर्चा में आई थीं जब गिफ्ट मामले में इमरान खान के समर्थकों और पंजाब पुलिस के बीच झड़प हो गई थी। खबरों में दावा किया गया था कि जब पुलिस इमरान खान के घर में दाखिल हुई तो बुशरा बीबी घर में अकेली थीं।