New Pandemic Alert: हॉन्गकॉन्ग के डॉ. एंथनी फौसी कहे जाने वाले माइक्रोबायोलॉजिस्ट यूएन क्वोक युंग ने दुनिया के लिए चिंताजनक भविष्यवाणी की है। उन्होंने अंदेशा जताया है कि दुनिया में एक और महामारी फैलने वाली है। जो कोविड-19 से अधिक घातक और जानलेवा होगी। युंग पहले भी कई खतरनाक वायरस को लेकर काम कर चुके हैं। उनका महत्वपूर्ण योगदान SARS (2003 में सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) वायरस को लेकर था। इस वायरस को अलग कर उसकी पहचान करने में उन्होंने उल्लेखनीय काम किया था। अब फिर से उन्होंने दुनिया के लिए चेतावनी जारी की है।
नई बायोग्राफी में जारी की चेतावनी
अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ रहे एंथनी फौसी के समान उनको हॉन्गकॉन्ग में माना जाता है। उन्होंने कहा कि महामारी अपरिहार्य रूप से आएगी, जो कोविड-19 से अधिक नुकसान पहुंचाएगी। क्वीन मैरी अस्पताल में उन्होंने एक चैनल को बताया कि वे लोग जहां काम करते हैं, वहां महामारी की आशंका है। दुनिया इसको लेकर सतर्क हो जाए। आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन महामारी कभी भी आ सकती है।
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दुनिया में लगातार आर्थिक, भू-राजनीतिक और जलवायु में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इसलिए उन्होंने भयावह भविष्यवाणी की है। अपनी नई बायोग्राफी ‘माई लाइफ इन मेडिसिन: ए हांगकांग जर्नी’ में उन्होंने वैश्विक खतरे को लेकर चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा कि देशों में शीर्ष नेतृत्व को अभी से ही इससे निपटने के लिए प्रबंध करने होंगे। अभी ग्लोबल लीडरशिप का ध्यान अपने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय हितों पर है। लेकिन उनको जलवायु परिवर्तन और इन्फेक्टेड डिजीज को रोकने के लिए काम करने की जरूरत है। इसे किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं कर सकते।
‘Hong Kong’s Dr Fauci’ sounds alarm on next pandemic: Hong Kong (AFP) –
Hong Kong microbiologist Yuen Kwok-yung has done battle with some of the world’s worst threats, including the SARS virus he helped isolate and identify. And he has a warning.
… https://t.co/zUiz0Qnw1Q pic.twitter.com/i02SD8move— zeta panama (@zetacompa) July 19, 2024
कोरोना और संक्रामक रोगों के माहिर हैं यूएन
बता दें कि यूएन कोरोना वायरस और संक्रामक रोगों के माहिर माने जाते हैं, जिनकी दुनिया में पहचान है। वे एक साधारण परिवार से विश्व स्तर पर पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं। 1950 के दशक में उनका जन्म हुआ। जो अपने माता-पिता और तीन भाइयों के साथ सिर्फ 60 वर्ग के फ्लैट में बड़े हुए। 1981 में मेडिकल स्कूल से ग्रेजुएशन कर सरकारी डॉक्टर बने। काफी कम वेतन पर काम किया। 2003 में उनकी पहचान सार्स वायरस पर काम के बाद दुनिया भर में बनी। यह बीमारी दक्षिणी चीन और हॉन्गकॉन्ग में लोगों की जान ले रही थी। दो महीने में लगभग 300 लोगों की मौत हो चुकी थी। यूएन ने कोरोना वायरस को लेकर भी खूब काम किया।