Emergency assistance H-1B visa fee queries: H-1B वीजा फीस बढ़ोतरी पर भारतीय प्रोफेशनल्स की परेशानियों और सवालों को देखते हुए अमेरिकी स्थित भारतीय दूतावास ने एक इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. भारतीय नागरिक इस नंबर पर फोन लगा कर H-1B वीजा फीस संबंधी अपने किसी प्रश्न का उत्तर ले सकते हैं. इसके साथ ही दूतावास ने ये भी स्पष्ट किया कि यह नंबर केवल H-1B वीजा फीस संबंधी सवालों के जवाब देने के लिए है ये सामान्य प्रश्नों के लिए नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा देश में H-1B वीजा आवेदनों पर प्रति वर्ष 100000 अमेरिकी डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) का शुल्क लगाने के बाद हड़कंप मचा हुआ है. खासकर अमेरिका में रहे भारतीय प्रोफेशनल्स इस चिंता में हैं कि अब उनका भविष्य क्या होगा, वह अमेरिका में आगे कैसे रहेंगे? इसी के साथ नौकरी के लिए अमेरिका जाने की चाह रखने वाले भारतीय युवा खासकर आईटी फ्रोफशनल्स अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं.
दूतावास ने क्लीयर किया कि यह नंबर सामान्य प्रश्नों के लिए नहीं है
इसी सब ऊहापोह के बीच भारतीय दूतावास ने इस स्थिति में अपने नागरिकों की सहायता के लिए तत्काल कदम उठाए हैं. दूतावास ने एक आपातकालीन सहायता नंबर (+1-202-550-9931, व्हाट्सएप सहित) जारी किया है, जिसका यूज केवल भारतीय नागरिक आपात स्थिति में कर सकते हैं. दूतावास ने क्लियर किया कि यह नंबर सामान्य प्रश्नों के लिए नहीं है, इस पर केवल H-1B वीजा फीस बढ़ोतरी संबंधी सवालों के ही जवाब मिलेंगे।
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भारत-अमेरिका के बीच आर्थिक संबंधों पर क्या पड़ेगा असर?
जानकारी के अनुसार अमेरिका में करीब 70% से अधिक H-1B visa भारतीय नागरिकों को जारी किए जाते हैं. ऐसे में ट्रंप के वीजा की फीस संबंधी इस फरमान से भारतीय आईटी पेशेवरों और भारत-अमेरिका के बीच आर्थिक संबंधों पर व्यापक प्रभाव डालने की आशंका जताई जा रही है. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए अमेरिका में स्थित भारतीय दूतावास ने ये कदम उठाया है.
क्या मौजूदा वीजाधारकों या रिन्यू पर लागू होगा नया नियम?
मीडिया में बयान जारी कर एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि यह नया शुल्क केवल नए एच-1बी वीजा आवेदनों पर लागू होगा न कि मौजूदा वीजाधारकों या रिन्यू पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग भारत या अन्य देशों की यात्रा पर हैं उन्हें अमेरिका लौटने की जल्दबाजी करने या 100000 डॉलर का शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है.
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