नई दिल्ली: ईरान में 900 से ज्यादा स्कूली छात्राओं को जहर देने का मामला दिनों दिन उलझता जा रहा है। ईरानी स्कूली छात्राओं को जहर देने के संदेह पर संकट रविवार को बढ़ गया क्योंकि अधिकारियों ने स्वीकार किया कि 50 से अधिक स्कूल को निशाना बनाया गया है। समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) की रिपोर्ट के अनुसार, जहर कांड ने माता-पिता के बीच भय फैला दिया है।
कई लड़कियों को जहर दिया गया
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर के बाद से ईरान में लगभग 700 लड़कियों को जहरीली गैस से जहर दिया गया है, कई लोगों का मानना है कि यह उनके स्कूलों को बंद करने के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास है। किसी भी लड़की की मृत्यु नहीं हुई है, लेकिन दर्जनों को सांस की समस्या, मतली, चक्कर आना और थकान का सामना करना पड़ा है।
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यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसी घटनाओं के पीछे कौन और क्या जिम्मेदार है। रिपोर्ट्स अब सुझाव देती हैं कि ईरान के 30 प्रांतों में से 21 के स्कूलों में संदिग्ध मामले देखे गए हैं। इस पूरी घटना में यह भी साफ नहीं है कि इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है। ज़हर देने की घटनाओं की शुरुआत पवित्र शहर कोम में नवंबर में हुई थी।
लड़कियों ने हुकूमत को दी है चुनौती
ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद 40 साल से ज्यादा वक्त से कभी भी लड़कियों की शिक्षा को चुनौती नहीं दी गई है। ईरान ने पड़ोसी अफगानिस्तान की तालिबानी हुकूमत से महिलाओं को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने की इजाज़त देने की मांग की है।
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बता दें कि फ़तेमेह रेज़ाई नाम की एक 11 वर्षीय लड़की की कथित तौर पर विषाक्तता से मृत्यु हो गई, हालांकि उसके परिवार और उसका इलाज करने वाले डॉक्टर ने कहा कि वह “एक गंभीर संक्रमण से मर गई थी और उसे ज़हर नहीं दिया गया था।” जैसे ही रविवार को और हमलों की सूचना मिली, सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो पोस्ट किए गए जिनमें बच्चों को पैरों में दर्द, पेट और चक्कर आने की शिकायत करते दिखाया गया।
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