France Farmers Protest Like Indian Farmers Movement: फ्रांस और यूरोप में किसान सड़कों पर उतरे हुए हैं। उग्र विरोध प्रदर्शन चल रहा है और यह प्रदर्शन ठीक वैसा ही है, जैसा भारत की राजधानी दिल्ली में देशभर के किसानों ने किया था।
फ्रांस के किसान सरकार की कारगुजारी से इतने नाराज हैं कि संसद पर अंडे फेंक कर विरोध जताया। बड़े-बड़े पत्थर अड़ाकर रास्ता रोककर किसान सड़कों पर बैठे हुए हैं, लेकिन फ्रांस और यूरोप के कुछ इलाकों के किसान क्यों भड़के हुए हैं, आइए इस पर बात करते हैं…
Why are farmers protesting in France and other parts of Europe? https://t.co/avSumv5YAa pic.twitter.com/gGVOvIPXW2
---विज्ञापन---— Reuters (@Reuters) February 1, 2024
सरकार पर दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन
रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों के विरोध का कारण कर, लालफीताशाही, नौकरशाही, कम भुगतान और सस्ता आयात है। बढ़ती लागत से निपटने के लिए किसान सरकार पर मदद करने का दबाव बनाना चाहते हैं, इसलिए पूरे यूरोपीय संघ में किसानों का विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है।
और भी कई मुद्दे हैं, जिन्होंने किसानों को आंदोलन करने के लिए प्रेरित किया। किसानों का आरोप है कि उन्हें उनकी मेहनत का पर्याप्त भुगतान नहीं किया जाता है। वे करों, लालफीताशाही, नियमों और सस्ते आयात से परेशान हैं।
Let’s check in on the French farmers… 👀
Turns out bad things happen when you upset the people who grow your food. #france #Farmerprotest pic.twitter.com/oIarf8S52b
— Mrgunsngear (@Mrgunsngear) February 1, 2024
किसानों के आयात क्यों बना समस्या?
फ्रांस से किसानों के प्रोडक्ट यूक्रेन में आयात किए जाते हैं, लेकिन रूस के आक्रमण के बाद यूरोपीय संघ ने कोटा और शुल्क माफ कर दिया। यूरोपीय संघ और दक्षिण अमेरिकी ब्लॉक मर्कोसुर के बीच एक व्यापार समझौते हुआ है, लेकिन इसे समाप्त करने के लिए नए सिरे से बातचीत चल रही है।
इस समझौते के कारण चीनी, अनाज और मांस की कीमतें गिर गई हैं। किसान नाराज़ हैं, क्योंकि उन पर यूरोपीय संघ द्वारा तय की गई कीमतों पर चीजें बेचने का दबाव डाला जाता है। किसानों ने आपातकालीन ब्रेक लगाकर यूक्रेन से कृषि आयात को सीमित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उत्पादकों इससे सहमत नहीं हैं।
France 🇫🇷
Truckers are now dumping foreign wine transportations in solidarity towards French vineyard farmers – who are getting hammered by government lack of support, regulations and taxations connected to net zero. pic.twitter.com/Tcvs2x9R4l
— James Melville 🚜 (@JamesMelville) January 26, 2024
परती भूमि मुद्दा क्यों बना हुई है?
फ्रांस के किसान यूरोपीय संघ के नए सब्सिडी नियमों का भी विरोध कर रहे हैं। नियमानुसान उन्हें अपनी जमीन का 4% हिस्सा परती छोड़ने को कहा जाता है। किसानों का कहना है कि सरकार ने नियमों को काफी जटिल बना दिया है। इनमें ढील दिए जाने की जरूरत है।
डीजल ईंधन लागत का प्रभाव
यूरोपीय संघ के सबसे बड़े कृषि उत्पादक जर्मनी और फ्रांस में, किसानों ने कृषि डीजल पर सब्सिडी या कर छूट समाप्त करने की योजना का विरोध किया है। ग्रीस के किसान चाहते हैं कि डीजल पर टैक्स कम किया जाए। पेरिस और बर्लिन दोनों ही दबाव के आगे झुक गए हैं और अपनी योजनाओं से पीछे हट गए हैं।