EV Batteries : पेट्रोल-डीजल जैसे पारंपरिक फ्यूल पर चलने वाली गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण से बचने के लिए इलेक्ट्रिक कारों को काफी बेहतर ऑप्शन माना जाता है। लेकिन, इन वाहनों की सबसे बड़ी समस्या इनकी रेंज होती है। एक बार चार्जिंग पर लिमिटेड रेंज बड़े पैमाने पर ऐसे वाहनों को सक्सेस नहीं होने दे रही। लेकिन, इलेक्ट्रिक वाहनों की यह सबसे बड़ी समस्या जल्द ही हल हो सकती है। एक नई स्टडी में सामने आया है कि एक नई तरह की बैटरी को सिर्फ एक बार चार्ज करने के बाद कार को लाखों किलोमीटर तक चलाया जा सकेगा। आइए जानते हैं इस रिवॉल्यूशनरी टेक्नोलॉजी के बारे में जो इलेक्ट्रिक वाहनों की तस्वीर बदल सकता है।
यह रिसर्च साउथ कोरिया कि पोहांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के रिसर्चर्स ने की है। इसके अनुसार नई लिथियम बैटरीज इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज को 10 लाख किलोमीटर तक कर सकती है। इस बैटरी में नए हाई टेंपरेचर सिंगल क्रिस्टल्स का इस्तेमाल करने की बात कही गई है। रिसर्चर्स के अनुसार पारंपरिक इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी इलेक्ट्रिक एनर्जी को केमिकल एनर्जी में कन्वर्ट करके और केमिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलने के लिए बिजली उत्पन्न करती हैं। ये बैटरी आम तौर पर निकल कैथोड मैटीरियल से बनी होती हैं। चार्च करते समय इनमें स्ट्रक्चरल गिरावट आ सकती है जिससे इनकी लाइफ कम हो सकती है।
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— Hylec Controls (@HylecControls) July 15, 2024
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ऐसी हो सकती है नई बैटरी
रिसर्च करने वाली टीम में शामिल प्रोफेसर क्यू-यंग पार्क, पीएचडी कैंडिडेट यून ली और यूरा किम के अनुसार इस स्थिति को बदलने के लिए एक तरीके को अमली जामा पहनाया जा सकता है। इसके लिए सिंगल क्रिस्टल फॉर्म बनाना होगा जिससे बैटरी का स्ट्रक्चर मजबूत होगा और वह ज्यादा स्टेबल-ड्यूरेबल होगी। इसकी टेस्टिंग के दौरान क्रिस्टल्स और डेंस हो गए जो डिग्रेडेशन नहीं होने दे रहे थे। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी का लाइफ स्पैन काफी बेहतर हो सकता है। प्रो. क्यू यंग ने कहा कि हमने निकल बेस्ड कैथोड मैटीरियल्स की ड्यूरेबिलिटी को मजबूत करने के लिए नई सिंथेसिस स्ट्रैटेजी पेश की है। हम अभी इस पर और काम कर रहे हैं।
अभी आती हैं ऐसी दिक्कतें
यंग ने आगे कहा कि हम इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सस्ती, तेज और लंबे समय तक चलने वाली सेकंडरी बैटरी बनाने के लिए अपनी रिसर्च जारी रखेंगे। बता दें कि इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि एक बार चार्ज करके आप इसे एक लिमिटेड दूरी के लिए ही चला सकते हैं। चार्जिंग स्टेशंस की कमी भी इस समस्या को गंभीर बनाती है। मान लीजिए अगर किसी व्यक्ति को सिर्फ 500 किलोमीटर की यात्रा करनी है तो भी वह इलेक्ट्रिक कार से नहीं जा सकता। अगर रिसर्चर्स की यह बात सही साबित होती है और इस तरह की बैटरी सामने आ जाती है तो यह बड़ी समस्या दूर हो सकती है और ईवी का बाजार काफी मजबूत हो सकता है।
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