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Egypt में पिरामिड के पास मिला रहस्यमयी अंडरग्राउंड द्वार, अंदर हो सकती है 4500 साल पुरानी कब्र

Underground Entrance Near Egypt's Pyramid: मिस्र में स्थित गीजा के पिरामिड को दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक माना जाता है। आकार में बेहद बड़े और हैरान कर देने वाले ये पिरामिड कई मिस्ट्री अपने अंदर समेटे हैं। लेकिन अभी तक इन पिरामिड के सभी रहस्य नहीं खुल पाए हैं। अब आर्कियोलॉजिस्ट्स को पिरामिड के पास एक सीक्रेट गेट मिला है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: May 15, 2024 19:00
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Pyramids Of Egypt
Representative Image (Pixabay)

Mysterious Underground Entrance Near Egypt’s Great Pyramid : आर्कियोलॉजिस्ट्स ने मिस्र में गीजा के पिरामिड के पास जमीन के नीचे एक रहस्यमयी स्ट्रक्चर खोज निकाला है। माना जा रहा है कि इसके अंदर एक कब्र हो सकती है जिसका निर्माण करीब 4500 साल पहले किया गया था। जहां यह अंडरग्राउंड स्ट्रक्चर मिला है उस जगह को पिरामिड बनाने वालों की कब्रगाह कहा जाता है। यह नील नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है।

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गीजा की पश्चिमी कब्रगाह में इस स्ट्रक्चर की तलाश के लिए आर्कियोलॉजिस्ट्स की टीम ने जमीन के अंदर देख सकने की क्षमता से लैस रडार का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद जमीन के नीचे L आकार की इस संरचना के छिपे होने की बात सामने आई। यह जमीन के नीचे स्थित किसी चैंबर के प्रवेश द्वार की तरह है। माना जा रहा है कि इसमें किसी बड़ी शख्सियत की कब्र हो सकती है। इसी कब्रगाह में पिरामिड का काम शुरू करवाने वाले राजा खूफू की कब्र भी है।

शाफ्ट से जुड़े हैं दोनों स्ट्रक्चर

स्कैनर्स का इस्तेमाल करके टीम को पता चला है कि L आकार का यह स्ट्रक्चर करीब 32 फीट लंबा और 49 फीट चौड़ा है। इसके नीचे एक और स्ट्रक्चर है अनुमान लगाया जा रहा है कि यह इसके नीचे स्थित स्ट्रक्चर एक मस्तबा हो सकता है। मस्तबा एक जमीन के नीचे स्थित कब्र को कहा जाता है जिसकी छत का निर्माण आम तौर पर लाइमस्टोन या मिट्टी की ईंटों से किया जाता था। रिसर्चर्स का मानना है कि दोनों स्ट्रक्चर एक दूसरे से एक वर्टिकल शाफ्ट के माध्यम से जुड़े हैं।

अभी और जांच की है जरूरत

यह स्ट्रक्चर जमीन से करीब 6 फीट नीचे है और रेत से भरा हुआ है। रिसर्चर्स का मानना है कि इसमें रेत जानबूझकर भरी गई होगी ताकि लगभग 30 फीट और नीचे स्थित चैंबर के प्रवेश द्वार को ब्लॉक किया जा सके। इसकी तलाश में रडार के साथ-साथ इलेक्ट्रिकल रेसिस्टिविटी टोमोग्राफी टेकनीक का इस्तेमाल भी किया गया जो जियोलॉजिकल वैरिएशंस के बारे में बताती है। आर्कियोलॉजिस्ट्स का कहना है कि सच्चाई जानने के लिए अभी और जांच करने की जरूरत है।

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Edited By

Gaurav Pandey

First published on: May 15, 2024 07:00 PM

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