Trump Tarrif Impact on Consumers: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाकर एक प्रकार का ट्रेड वार छेड़ दिया है। ट्रंप के इस फैसले से तीनों देशों के साथ-साथ अमेरिका के लोगों को भी नुकसान झेलना पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका पर जवाबी कार्रवाई हो सकती है। कनाडा, मैक्सिको और चीन भी अमेरिका पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान कर चुके हैं और इन देशों का कहना है कि अमेरिका पर भी उतना ही टैरिफ लगाया जाएगा, जितना अमेरिका ने उन पर लगाया है।
ऐसे में नुकसान लोगों को झेलना होगा, क्योंकि इससे प्रोडक्ट महंगे हो जाएंगे। खासकर किसानों पर इसका असर पड़ेगा तो खाने-पीने की चीजें भी महंगी होंगी। नॉन-वेज प्रोडक्ट्स के रेट भी बढ़ जाएंगे। इससे किसानों और नॉन-वेज प्रोडक्ट्स बनाने वालों को मुनाफे की जगह नुकसान झेलना होगा। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ने संसद में दिए अपने भाषण में नुकसान झेलने वालों को आर्थिक राहत देने का ऐलान किया है, लेकिन आयात और निर्यात प्रभावित होने से जॉब सेक्टर को भी नुकसान उठाना होगा। लोगों की नौकरियां जा सकती हैं, बिजनेस ठप हो सकते हैं।
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बीफ की कीमतों का क्या होगा?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका हैमबर्गर बनाने के लिए फैक्ट्रियों में बनने वाले वसायुक्त मीट में मिलाने के लिए खास बीफ का दूसरे देश से मंगवाता है, लेकिन टैरिफ लगने से यह महंगा हो जाएगा, क्योंकि इस बीफ का लगभग आधा हिस्सा कनाडा और मैक्सिको से आता है। अमेरिका ने मैक्सिको, कनाडा और चीन को 1.8 बिलियन डॉलर से ज्यादा कीमत का चिकन और 8.4 बिलियन डॉलर का रेड मीट निर्यात किया, लेकिन टैरिफ लगने के बाद इस निर्यात में आसानी से 10% की गिरावट आ सकती है।
ऐसे में अगर किसान टैरिफ के कारण बीफ विदेश नहीं भेज पाते हैं तो वे घरेलू स्तर पर बीफ बेचने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन उन्हें खरीदारों को कीमतों में छूट देनी होगी। इससे जहां किसानों का नुकसान होगा, वहीं उपभोक्ताओं का फायदा होगा। इसका असर उत्पाद के हिसाब से अलग-अलग होगा। स्टेक और बेकन की मांग स्थिर रह सकती है क्योंकि इनकी मांग कम है, लेकिन अमेरिका में हैम के दाम गिर सकते हैं, क्योंकि मैक्सिको इनका प्रमुख खरीदार है। टैरिफ लगने से पशुपालकों को थोड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि चारे की लागत कम हो जाएगी।
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किसानों को कैसे होगा नुकसान?
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में मक्का और सोयाबीन की कीमतें पहले ही 10% गिर चुकी हैं। ऐस तब से हुआ, जब टैरिफ की पहली बार घोषणा की गई थी। इलिनोइस विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री जो जेनजेन कहते हैं कि मक्का और सोयाबीन फसलों की कीमतें घटने से मुनाफा खत्म हो गया है। उन्होंने ट्रंप की इस टिप्पणी को बेबुनियाद बताया कि किसान अपने प्रोडक्ट्स को देश में ही बेच सकते हैं, लेकिन मक्का, सोयाबीन, गेहूं और अन्य कृषि उत्पादों के लिए कोई घरेलू बाजार नहीं है। इसलिए इन्हें निर्यात किया जाता है।
जैसे-जैसे फसल की कीमतें घटती हैं, किसानों को खेतीबाड़ी में इस्तेमाल होने वाले उर्वरक महंगे दामों पर खरीदने पड़ेंगे, क्योंकि अमेरिका में उर्वरक बनाने में इस्तेमाल होने वाले 85% पोटाश कनाडा से आते हैं। मिनेसोटा के किसान डैनी लुंडेल कहते हैं कि हमें स्वस्थ फसल उगाने के लिए पोटाश की आवश्यकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप बड़े, मध्यम या छोटे वर्ग के किसान हैं, टैरिफ जरूर प्रभावित करेगा। इसलिए किसान शुरुआती नुकसान उठाने के लिए तैयार हैं, क्योंकि ट्रंप सरकार की ओर से राहत तो नुकसान के बाद ही मिलेगी।
ट्रंप का किसानों को खास संदेश
बता दें कि संसद को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने तर्क दिया कि कृषि उत्पादों के आयात से अब अमेरिका के किसानों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि उन्हें विदेश से आने वाली चीजें महंगी मिलेंगी, जिससे उन्हें भी दाम बढ़ाने होंगे, लेकिन महंगाई के कारण खरीदार नहीं आएंगे तो प्रोडक्ट बेचने के लिए उन्हें दाम घटाकर नुकसान उठाना होगा, लेकिन उन्होंने किसानों से कहा कि वे धैर्य रखें, क्योंकि वह उनके बारे में सोच रहे हैं। इस बयान से अंदाजा लगाया जा रहा है कि राष्ट्रपति किसानों को नुकसान के मुआवजे की पेशकश कर सकते हैं, जैसा कि उन्होंने अपने पहले प्रशासन के दौरान चीन के साथ व्यापार युद्ध के दौरान किया था, ताकि कुछ नुकसान की भरपाई की जा सके।