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दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर होगा फैसला, जानें कैसे होता है इसका चुनाव?

Dalai Lama Successor: दलाई लामा का 6 जुलाई 2025 को 90वां जन्मदिन है। इस दौरान, उनके अगले उत्तराधिकारी की चर्चा शुरू हो गई है। दलाई लामा उत्तराधिकारी को लेकर पहले ही साफ कर चुके हैं कि वह चीन के बाहर का होगा। जानिए नए दलाई लामा का चुनाव कैसे होगा?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Shabnaz Updated: Jul 2, 2025 07:01
Dalai Lama News
फोटो क्रेडिट-फ्रीपिक

Dalai Lama Successor: तिब्बती बौद्धों के आध्यात्मिक प्रमुख और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा 6 जून को 90 साल के हो जाएंगे। इसी के साथ अब आध्यात्मिक प्रमुख दलाई लामा (15वें) का चयन किया जाएगा। यह चुनाव कई देशों के लिए रुचि का विषय है, क्योंकि दलाई लामा दुनिया के सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक माने जाते हैं। हालांकि, दलाई लामा उत्तराधिकारी के बारे में पहले ही बता चुके हैं कि इस बार यह चीन से बाहर का होगा। इसके लिए आज से धार्मिक आयोजन शुरू कर दिए जाएंगे।

नया उत्तराधिकारी कहां से होगा?

तिब्बती परंपराओं के मुताबिक, कहा जाता है कि सीनियर बौद्ध भिक्षु की आत्मा उसकी मृत्यु के बाद पुनर्जन्म लेती है, जिसके बाद उत्तराधिकारी की चयन प्रक्रिया की जाती है। रिपोर्ट्स में कहा गया कि दलाई लामा ने अपनी किताब ‘वॉयस फॉर द वॉइसलेस’ में कहा कि ‘उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर पैदा होगा।’ यह बात उन्होंने मार्च 2025 में ही कही थी। हाल ही में एक सभा को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने लाई लामाओं की संस्था को जारी रखने के बारे में बात की।

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खुद ही देंगे प्रशिक्षण?

आमतौर पर पहले दलाई लामा की मृत्यु के बाद ही दूसरे दलाई लामा का पुनर्जन्म होना माना जाता है, लेकिन 2011 में दलाई लामा ने एक बात और कही थी। उन्होंने कहा कि ‘मृत्यु से पहले आत्मज्ञान प्रकट कर सकते हैं।’ उनके इस बयान के बाद से अनुमान लगाया गया कि ‘हो सकता है कि दलाई लामा यह सुझाव दे रहे हैं कि वे अपने जीवन में ही किसी उत्तराधिकारी को प्रशिक्षित करेंगे।’ हालांकि, ऐसा होने की बहुत कम ही संभावना है।

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अभी कौन हैं 14वें दलाई लामा?

रॉयटर्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, जन्म ल्हामो धोंडुप को 14वें दलाई लामा के तौर पर पहचाना गया। उनका जन्म 6 जुलाई 1935 को किंघई प्रांत में हुआ था। उनके दो साल के होने पर ही उन्हें पुनर्जन्म के रूप में पहचान लिया गया था। दलाई लामा की वेबसाइट के अनुसार, तिब्बती सरकार ने एक खोज दल भेजा था, जिन्होंने कई संकेतों के मिलने पर ही इसका फैसला लिया था।

दरअसल, इन्होंने 13वें दलाई लामा के सामान को ‘यह मेरा है, यह मेरा है’ कहते हुए पहचान की थी। 1940 में ल्हामो थोंडुप को ल्हासा के पोताला पैलेस में ले जाया गया, जहां पर आधिकारिक तौर पर तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता के रूप में उनको चुना गया।

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First published on: Jul 02, 2025 07:01 AM

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