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इस तानाशाह ने बना दिया था Cannibal Island, एक-दूसरे को खाने के लिए मजबूर किए जाते थे कैदी

Joseph Stalin History : साइबेरियाई नदी के बीचों बीच एक नाजिनो द्वीप स्थित है। रूस के इस तानाशाह ने इस द्वीप को नरभक्षी द्वीप बना दिया था, जहां कैदी एक-दूसरे को खाने के लिए मजबूर थे। आइए जानते हैं कि क्या है नरभक्षी द्वीप का इतिहास?

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Apr 27, 2024 16:47
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Cannibal Island
इस तानाशाह ने Cannibal Island बना दिया था।

Cannibal Island History : साइबेरियाई नदी के बीचों बीच एक द्वीप स्थित है, जिसका नाम नाजिनो द्वीप है। सभ्यता से दूर यह एकदम शांत जगह है। नाजिनो द्वीप का एक काला अतीत भी है, इसलिए इसे कभी ‘नरभक्षी द्वीप’ के नाम से जाना जाता था। हालांकि, शुरुआत में नाजिनो द्वीप की रिपोर्ट छिपाई गई थी, लेकिन अंत में वहां की भयावहता लोगों के सामने आ गई। आइए जानते हैं कि नरभक्षी द्वीप का क्या है काला इतिहास?

मई 1933 में रूस के तानाशाह जोसेफ स्टालिन के शासन में 6,000 से अधिक सोवियत कैदियों को नाजिनो द्वीप में बस्ती बनाने के लिए भेजा गया था। दो मील से कम लंबा और 2,000 फीट चौड़े द्वीप पर कैदियों को बिना आश्रय, भोजन या उपकरणों के रखा गया था। ऐसे में उन्हें जीवित रहने के लिए हिंसक कदम उठाना पड़ा।

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बीमारी और भुखमरी के चलते कैदियों ने नरभक्षण का चुना रास्ता

बीमारी और भुखमरी के बीच कई कैदियों ने नरभक्षण का रास्ता अपना लिया। नरभक्षण के तहत एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का मांस खाता है, जिसे आदमखोरी भी कहा जाता है। जब सोवियत संघ ने जुलाई में इस द्वीप को बंद किया था, तब सिर्फ 2,000 कैदी ही जिंदा बचे थे।

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जोसेफ स्टालिन के शासन में बना था नरभक्षी द्वीप

नाजिनो द्वीप को नरभक्षी द्वीप के रूप में कैसे जाना जाने लगा, इसकी कहानी सोवियत तानाशाह जोसेफ स्टालिन से शुरू होती है। व्लादिमीर लेनिन की मौत के बाद जोसेफ स्टालिन ने सत्ता की कमान संभाली। उन्होंने नरभक्षी द्वीप पर सोवियत गुलाग और श्रमिक शिविरों के नेटवर्क का विस्तार किया। इस द्वीप पर ऐसे अपराधियों, बेरोजगारों और निर्दोष लोगों को भेजा जाता था, जिन्हें घरेलू पासपोर्ट नहीं होने पर गिरफ्तार किया गया था।

नाजिनो द्वीप पर न भोजन था और न ही घर

नाजिनो द्वीप के एक कैदी ने बताया कि मैं मॉस्को में एक छात्र था। एक दिन मैं मॉस्को में अपनी चाची से मिलने के लिए गया था। मैं उसके घर का दरवाजा खटखटाया, लेकिन इससे पहले कि वह दरवाजा खोलती, पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि मेरे पास पासपोर्ट नहीं था। इस दौरान मुझे सोवियत कैदियों से भरी पहली नाव में डालकर नाजिनो द्वीप भेजा गया। वहां न तो खाने की व्यवस्था थी और न ही रहने के लिए घर।

मैंने भी खाए थे कलेजे और दिल : कैदी

एक जीवित कैदी ने सोवियत अधिकारियों को बताया कि कैदी इस द्वीप एक दूसरे को मारकर खाने को मजबूर थे। मैंने भी जिंदा रहने के लिए कलेजे और दिल खाए। मैंने उन लोगों का मांस खाया, जो पूरी तरह जिंदा नहीं थे, लेकिन मरे भी नहीं थे। ये ऐसे लोग थे, जो एक-दो दिन में मर जाते।

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Written By

Deepak Pandey

First published on: Apr 27, 2024 04:47 PM

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