Ancient Egyptian Tradition: ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने प्राचीन मिस्र के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण पहलू का उल्लेख किया है। थ्रीडी इमेजिंग से बताया है कि कैसे नील नदी से मगरमच्छों को पकड़ा जाता था? पकड़ने के बाद इनका ममीकरण किया जाता और देवता सोबेक को बलि चढ़ा दी जाती। देवता सोबेक का चेहरा भी मगरमच्छ जैसा बताया गया है। वैज्ञानिकों को 3 हजार साल पुरानी ममी मिली है। एक्स-रे की मदद से उन्होंने दिखाया है कि कैसे इस 2.2 मीटर (7 फुट से ज्यादा) लंबे मगरमच्छ को नील नदी से पकड़ा गया था? फिर उसे मारा गया और बाद में ममीकरण किया गया। इस मगरमच्छ ने कांटे से बंधी एक मछली को निगल लिया था। इसके बाद पत्थरों को निगला था। इस प्रक्रिया को गैस्ट्रोलिथ कहा जाता है।
मगरमच्छ को मानते थे देवता का अवतार
मगरमच्छ पेट में हलचल के लिए ऐसा करते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार पाचन तंत्र में अधिक गैस्ट्रोलिथ की मौजूदगी से पता लगता है कि जानवर निगलते ही मर गया था। मैनचेस्टर विश्वविद्यालय की ओर से भी इस संबंध में शोध किया गया है। मगरमच्छ को जिस मछली के कांटे से मारा गया है, वैज्ञानिकों ने उसकी प्लास्टिक और कांस्य की कॉपी बनाने के लिए 3D तस्वीरों को यूज किया है। मैनचेस्टर विश्वविद्यालय की शोध फेलो राइटर लिडिजा मैकनाइट के अनुसार पहले अनरैपिंग और पोस्टमार्टम के लिए सही तरीके नहीं अपनाए जाते थे। 3D रेडियोग्राफी आकर्षक कलाकृतियों को नुकसान पहुंचाए बिना अंदर देखने की तकनीक को विकसित करती है।
फिलहाल इस ममी को बर्मिंघम संग्रहालय और आर्ट गैलरी में रखा गया है। यहां इसे 2005.335 सीरियल नंबर दिया गया है। प्राचीन मिस्र के लोग मगरमच्छ को सोबेक देवता का अवतार मानते थे। वे सोबेक को नील नदी का स्वामी या पृथ्वी को रचने वाला मानते थे। मिथ्या है कि उनका सिर नील नदी के मगरमच्छ का और अगला हिस्सा शेर और पिछला हिस्सा दरियाई घोड़े जैसा था। इन तीन जानवरों से यहां के लोग अधिक डरते थे। माना जाता था कि ये तीनों उन्हें मार सकते हैं। नील नदी में मगरमच्छों को लेकर कहा जाता था कि वे अधिक शक्तिशाली, क्रूर और इंसानों के लिए घातक हैं। नील नदी के आसपास खूब खेती होती थी। हर साल नदी पर जश्न मनाया जाता था।
The hearts of the impure were devoured by Ammit🫀
Approaching another creature I’ve never drawn before! This is Ammit, she is a death goddess/demon from Ancient Egypt. She has the head of a nile crocodile, the mane/upper body of a lion and the rear quarters of a hippo pic.twitter.com/32ZQKDPPQH
— Samantha Mash🌿 (@samanthamashart) October 15, 2023
बंदी बनाने के बाद पालते, फिर मार डालते
माना जाता था कि अगर मगरमच्छ अधिक होंगे तो बारिश भी अच्छी होगी। काहिरा से 100 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित फयूम में एक नखलिस्तान मिला है। वहां बड़ी संख्या में मगरमच्छों की ममियां मिली हैं। क्रोकोडिलोपोलिस, कसर एल करुन, करनिस, एस्ना एल्काब और कोम ओम्बो जैसे कई इलाके थे। जहां मगरमच्छों को बंदी बनाया जाता था। इन्हें पाला जाता था। जब मंदिर के पुजारी इनको प्रसाद घोषित कर देते थे। तब मार दिया जाता था। शोध के अनुसार जब सिकंदर महान के मैसेडोनियन जनरल टॉलेमी 1 के वंशजों ने मिस्र पर शासन किया था, तब भी वहां मगरमच्छ का शिकार होता था। यह 332-30 ईसा पूर्व की बात है।
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