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History: जब ओलंप‍िक के खेल गांव में ब‍िखरी ख‍िलाड़‍ियों की लाशें, पढ़‍िए मोसाद के बदले की कहानी

1972 Munich Olympics Massacre: फ्रांस की राजधानी पेरिस में ओलंपिक 2024 का आगाज हो चुका है। इस बार 206 देशों की टीमें खेलने के लिए पहुंची हैं। भारत के भी 117 खिलाड़ी इस इवेंट में भाग ले रहे हैं। ओलंपिक में इस बार कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। आपको 1972 में ओलंपिक खेलों के दौरान हुई एक घटना से रूबरू करवाते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Jul 27, 2024 17:09
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1972 Munich Olympics Massacre

Operation Wrath of God: पेरिस में ओलंपिक खेलों का आगाज हो चुका है। जिसमें खिलाड़ियों की कड़ी सुरक्षा का दावा किया गया है। क्या आप जानते हैं कि ओलंपिक खेलों के दौरान दिल दहला देने वाला आतंकी हमला हो चुका है? जिसमें इजराइल ने अपने 11 खिलाड़ियों को खो दिया था। जर्मनी के म्यूनिख में 1972 में इजराइल की ओलंपिक टीम पर अटैक हुआ था। जिसे आज पांच दशक से अधिक समय हो चुका है। जब भी ओलंपिक खेल होते हैं, इस घटना का जिक्र जरूर होता है। ओलंपिक खेलगांव की बालकनी में नकाबपोश फिलीस्तीनी आतंकियों ने इजराइली टीम को बंधक बनाकर अपनी मांगें मनवानी चाही थी। लेकिन इजराइल नहीं झुका। जर्मनी ने आतंकियों को बंधक ले जाने के लिए बस भी मुहैया करवा दी।

इजराइल ने खोए थे अपने 11 खिलाड़ी

5 सितंबर 1972 को खुद को घिरते देख आतंकियों ने 11 खिलाड़ियों को मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद इजराइल ने बदला लेने की कसम खाई और अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद को जिम्मा सौंपा। इस एजेंसी ने 2 दशक तक चुन-चुनकर आतंकियों को मारा था। जिस पर 2005 में एक फिल्म भी बन चुकी है। 1972 में जर्मनी में पहली बार हिटलर के शासन के बाद खेल हो रहे थे। 5 सितंबर की सुबह ‘ब्‍लैक सेप्‍टेम्‍बर’ ग्रुप के 8 आतंकी खेल गांव में घुसे। ट्रैकसूट पहने ये लोग खिलाड़ी लग रहे थे। इसके बाद इजराइली टीम के ठिकाने के अंदर गए।

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एक-एक कमरे की तलाशी लेने लगे। फिर इन आतंकियों को दिखे रेसलिंग टीम के कोच मोसे वेनबर्ग। जो किचन से चाकू उठाकर आतंकियों पर टूट पड़े। आतंकियों ने इन्हें शूट कर दिया। इसी दौरान 2 और खिलाड़ी मारे गए। कई खिलाड़ी बारिश के बीच भाग गए थे। 9 खिलाड़ियों को आतंकियों ने बंदी बना लिया। कत्लेआम की खबर पूरी दुनिया में फैल गई। उस वक्त बताया गया था कि आतंकियों के पास 11 खिलाड़ी हैं। लेकिन थे नौ। बंधक बनाए जाने के बाद आतंकियों ने इजराइल के सामने डिमांड रखी कि जेल में बंद उसके 234 साथियों को छोड़ा जाए। लेकिन इजराइल ने मना कर दिया। जिसके बाद आतंकियों ने दबाव बनाने के लिए जिन लोगों को मार डाला था। उनके शव नीचे फेंक दिए।

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आतंकियों ने कहा कि नहीं माने तो सभी लोगों को मार देंगे। जर्मनी अपने स्तर पर संकट सुलझाने में जुटा था। आतंकियों ने जर्मनी से कायरो जाने की बात कही। जर्मनी ने बात मान ली और इन लोगों को बस दे दी। जिसके बाद आतंकी खिलाड़ियों को लेकर एयरपोर्ट चले गए। वहां जर्मन पुलिस ने आतंकियों से खिलाड़ियों को छुड़ाने की प्लानिंग कर ली थी। जैसे ही आतंकियों को जर्मन कमांडो दिखे, 6 सितंबर की रात 12 बजकर 4 मिनट पर एक आतंकी ने एके47 उठाई और खिलाड़ियों को गोलियों से भून दिया। जवाबी कार्रवाई में सभी आतंकी मारे गए थे।

जर्मनी में सभी आतंकी मार दिए गए थे

पुलिस ने मामले में 3 संदिग्ध काबू किए थे। वहीं, तत्कालीन इजराइली पीएम गोल्डा मेयर ने मोसाद को बदला लेने के आदेश दिए। जिसके लिए ऑपरेशन ‘रैथ ऑफ गॉड’ लॉन्च किया गया था। मोसाद ने हमले की प्लानिंग में शामिल अन्य लोगों को 20 साल तक चुन-चुनकर मारा। इसी मुद्दे पर मशहूर फिल्‍म डायरेक्‍टर स्टीवन स्पीलबर्ग ने ‘म्यूनिख’ नाम से फिल्म भी बनाई है। जो 2005 में रिलीज हुई थी। हमले के महीने भर बाद रोम में हमले की योजना में शामिल अब्दुल वाइल जैतर को मोसाद ने मार गिराया था। 16 अक्टूबर को वह जैसे ही डिनर करके लौटा, दो इजराइली कमांडोज ने काम तमाम कर दिया था।

लेबनान में घुसकर किया था आतंकियों का काम तमाम

अगला निशाना बना डॉ. महमूद हमशरी। जिसे इजराइली महिला एजेंट ने पत्रकार बनकर फंसाया। वह फ्रांस में फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) के प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहा था। उस पर उसी साल 8 दिसंबर को कमरे में महिला ने बम फेंका था। जिसके एक महीने बाद उसकी मौत हो गई। अगले 6 महीने में 4 और आतंकी हुसैन अब्दुल चिर, बासिल अल कुबैसी, मोहम्मद बौदिया और जैद मुकासी मारे गए थे। जिसके बाद लेबनान में भी मोसाद के कमांडोज ने बदला लिया था। अप्रैल 1973 में पानी और जमीन के रास्ते बेरूत जाकर कमल अदवान, मोहम्मद यूसुफ अल नज्जर, कमल नासिर को मौत के घाट उतार दिया था। म्यूनिख हमले का मास्टरमाइंड मशहूर अली हसन सलामे था। एक इजराइली महिला एजेंट एरिका मैरी चैम्बर्स ने उसका पता खोज लिया था। जिसके बाद उसे लेबनान में ढेर कर दिया गया था।

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HISTORY

Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Jul 27, 2024 05:09 PM

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