21 मई 2025 को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के खुजदार इलाके में एक दर्दनाक घटना घटी। कराची-क्वेटा नेशनल हाईवे के जीरो प्वाइंट पर एक स्कूल बस को निशाना बनाकर बम धमाका किया गया। इस बस में आर्मी स्कूल के बच्चे सवार थे। धमाका इतना जबरदस्त था कि चार मासूम बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई और करीब 38 बच्चे घायल हो गए। यह धमाका तब हुआ जब बस सड़क किनारे खड़े विस्फोटक वाहन के पास से गुजर रही थी। घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई। बच्चों के बिखरे हुए बैग और खून से सनी बस की तस्वीरें इस त्रासदी की गंभीरता को दिखा रही थीं।
पाकिस्तान की जानकारी छिपाने की कोशिश
इस भयावह हमले के बाद पाकिस्तान सरकार और मीडिया की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। शुरुआत में पाकिस्तान की सरकार और स्थानीय मीडिया ने इस बात को नकारा कि इस धमाके में कोई बच्चा मारा गया है। लेकिन सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरें और स्थानीय लोगों की रिपोर्ट्स ने सच्चाई उजागर कर दी। बाद में जब सच्चाई दबाना मुश्किल हो गया, तब जाकर अधिकारियों ने माना कि बच्चों की मौत हुई है। इसके अलावा दो दिन बाद यह भी सामने आया कि इस हमले में पाकिस्तान सेना के दो जवान भी मारे गए थे, लेकिन उनकी मौत की खबर भी पहले छिपाई गई थी। इससे यह संदेह और गहरा हो गया कि पाकिस्तान कुछ छिपा रहा है।
भारत पर झूठा आरोप
हमले के दो दिन बाद, पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता DG ISPR ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत पर इस हमले का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह हमला भारत ने करवाया है, लेकिन उन्होंने कोई सबूत पेश नहीं किया। वहीं दूसरी ओर खुफिया एजेंसियों और स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह हमला पाकिस्तान द्वारा खुद करवाया गया एक “फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन” हो सकता है। इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सहानुभूति पाना और बलूच विद्रोहियों को दबाने के लिए एक बहाना बनाना हो सकता है। इस तरह के झूठे आरोप पहले भी पाकिस्तान की सरकार लगाती रही है।
पाकिस्तान की सच्चाई सामने आई
खुजदार की यह घटना एक बार फिर पाकिस्तान के दोहरे चेहरे को उजागर करती है। एक ओर वह खुद को आतंकवाद का शिकार बताता है, लेकिन दूसरी ओर अपने ही नागरिकों, खासकर मासूम बच्चों की मौत को भी राजनीतिक लाभ के लिए छुपाने और इस्तेमाल करने से नहीं माना। बच्चों की मौत की खबर छिपाना और फिर भारत पर झूठा आरोप लगाना पाकिस्तान की साख पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मामले में गंभीरता दिखानी चाहिए और पाकिस्तान से जवाब मांगना चाहिए कि आखिर इन मासूम बच्चों की मौत का असली गुनहगार कौन है।