बांग्लादेश में इन दिनों राजनीतिक हालात तेजी से बदल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है। अब जमात इस्लामी अगला चुनाव लड़ेगी। इस संगठन पर शेख हसीना ने पीएम रहते प्रतिबंध लगाया था। संगठन पर देश विरोधी गतिविधियों में सलंग्न होने के आरोप लगते रहे हैं।
ऐसे में अब जमात इस्लामी अगले चुनाव में उम्मीदवार उतारेगी। इसके साथ उसके अरेस्ट किए गए नेताओं को जल्द ही रिहा किया जाएगा। जमात शेख हसीना का सबसे बड़ा विरोधी थी। जानकारी के अनुसार वह बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्र रहमान को भी गलत मानता है। संगठन 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता का विरोध करने वालों दलों में से एक था।
अवामी लीग पर प्रतिबंध बढ़े
बता दें कि एक ओर कट्टरपंथी दल जमात इस्लामी से प्रतिबंध हटाया गया है तो वहीं दूसरी ओर शेख हसीना की पार्टी पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है। बता दें कि अवामी लीग की वेबसाइट पर भी बैन लगा दिया गया है। इसके अलावा अवामी लीग के डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी बैन कर दिया गया है।
कोर्ट के आदेश से यूनुस सरकार बैचेन
बांग्लादेश में लगातार शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। एक ओर जहां वह भारत में निर्वासित जीवन काट रही है तो वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने पूर्व पीएम शेख हसीना को 16 जून को न्यायाधिकरण के समक्ष पेश करने के लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि बांग्लादेशन में पिछले साल अगस्त में हुए छात्र प्रदर्शन में पुलिसिया कार्रवाई को लेकर कोर्ट ने यह आदेश सुनाया है। ऐसे में अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और भारत के बीच संबंध और ज्यादा तल्ख हो सकते हैं।
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इससे पहले बांग्लादेश में यूनुस सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है। बीएनपी समेत कई पार्टियां यूनुस सरकार से जल्द चुनाव करवाने को कह रही है लेकिन यूनुस बिना चुनाव के ही अगले 5 साल तक शासन चलाना चाहते हैं। ऐसे में उनके खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। सेना एक बार फिर सड़कों पर उतर आई है।
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