अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन एक बड़े कानूनी संकट में फंस गए हैं. अमेरिकी न्याय विभाग ने उन पर गोपनीय और अत्यंत संवेदनशील दस्तावेजों को अवैध रूप से साझा करने और अपने पास रखने के आरोप में अभियोग दर्ज करवाया है. यह मामला डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के दौरान उनकी सेवा अवधि से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है.
18 आपराधिक आरोप लगे
सूत्रों के मुताबिक, बोल्टन पर 18 आपराधिक आरोप लगाए गए हैं, जिनमें से 8 आरोप राष्ट्रीय रक्षा सूचना के अवैध प्रसारण और 10 आरोप ऐसी जानकारियों को गलत तरीके से रखने का हैं. जांच एजेंसियों के मुताबिक बोल्टन ने लगभग 1000 पन्नों की डायरी बनाई हुई थी जिसमें कई गुप्त सूचनाएं दर्ज की थीं. इनमें अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी शक्तियों से संबंध, गुप्त अभियानों और मिसाइल योजनाओं से जुड़ी अत्यंत संवेदनशील जानकारियां भी शामिल थीं.
परिवार के साथ साझा किए दस्तावेज
आरोपों के अनुसार, पूर्व सलाहकार ने इन गोपनीय दस्तावेजों को अपने परिवार के सदस्यों पत्नी और बेटी के साथ साझा किए थे. इतना ही नहीं, उन्होंने इन्हें सरकारी चैनलों के बजाय निजी ईमेल अकाउंट और मैसेजिंग ऐप के माध्यम से भेजा. यह भी सामने आया है कि उनका निजी ईमेल बाद में ईरान से जुड़े साइबर हैकर्स द्वारा हैक भी किया गया था.
ये भी पढ़ें-गुजरात में मंत्री बनने की लिस्ट में कौन-कौन से नए चेहरे? CM पटेल गर्वनर को सौंपेंगे नई सूची
बोल्टन का पहला बयान
हालांकि, बोल्टन ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इस मामले में अपना पहला बयान दर्ज करवाया है. उनका कहना है कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया और जिन दस्तावेजों की बात की जा रही है वे केवल उनकी व्यक्तिगत डायरी के कुछ अंश हैं, जिन्हें उन्होंने केवल अपने परिवार के साथ साझा किया था. बोल्टन ने यह भी कहा कि इन बातों की जानकारी FBI को पहले से दी गई थी.
आरोप सिद्ध होने पर क्या होगा?
अगर बोल्टन पर लगे आरोप साबित हो जाते हैं तो उन्हें प्रत्येक अपराध पर 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है. इस मामले ने अमेरिकी राजनीति में हलचल मचा दी है क्योंकि बोल्टन पहले भी ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर तीखी आलोचना करते रहे हैं.
ट्रंप पर भी निशाना
बोल्टन ने कहा कि उन्होंने चार दशकों तक अमेरिका की विदेश नीति और सुरक्षा के लिए काम किया है और अभी भी अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं. वे बोले कि कई बार ट्रंप प्रशासन में उनके कामों को नीतिगत नहीं माना और जब वे काम करने में असमर्थ हुए तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया.
बोल्टन का दावा है कि ट्रंप ने उनके खिलाफ साल 2020 में प्रतिशोध की मुहिम उसी वक्त से शुरू कर दी थी जब उन्होंने अपनी किताब ‘The Room Where It Happened’ प्रकाशित की थी. इस किताब में बोल्टन ने ट्रंप प्रशासन के अंदरूनी फैसलों और विदेशी नीतियों से जुड़े कई रहस्य उजागर किए थे.