विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दिल्ली में आयोजित चौथे कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि आज जोखिम उठाने और जोखिम कम करने की गतिविधियां एक साथ हो रही हैं. इससे नीति-निर्माताओं के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी हो गई हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आज हथियारों और युद्ध की प्रकृति मूल रूप से बदल चुकी है.
विदेश मंत्री ने कहा कि आज हथियारों की प्रकृति और युद्ध की प्रकृति मौलिक रूप से बदल गई है. उन्होंने एडवांस हथियारों और टेक्नोलॉजी द्वारा कॉन्टैक्टलेस युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने अजरबैजान-आर्मेनिया, यूक्रेन-रूस और इजराइल-ईरान जैसे अनेक संघर्षों में ऐसा देखा है. जिनमें स्टैंड ऑफ वेपंस का इस्तेमाल होता है. इनके नतीजे बेहद प्रभावशाली और कभी-कभी निर्णायक भी हो सकते हैं.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि दुनिया के कई हिस्सों में वैश्वीकरण के विरोध की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि अब कई घटनाएं एक ही समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल रही हैं और इस वजह से आज एक विरोधाभासी स्थिति पैदा हो रही है. एक ओर फैक्टर अधिक जोखिम उठाने को प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन दूसरी ओर इसके नतीजों को देखते हुए राजनीति और अर्थव्यवस्था के हर पहलू में जोखिम कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमने आर्थिक रूप से देखा है कि लागत अब निर्णायक मानदंड नहीं रह गई है. सुरक्षा या विश्वसनीयता और लचीलापन भी उतना ही महत्वपूर्ण है. हमने राजनीतिक रूप से देखा है कि गठबंधनों और समझौतों पर पुनर्विचार किया जा रहा है. ऐसा लगता है कि उन्हें बाकी दुनिया की उतनी जरूरत नहीं है जितनी पहले थी, इसलिए अगर उनके पास थोड़ी शक्ति है तो वे अपनी नीतियों और कार्यों के लिए उस शक्ति का इस्तेमाल करने को तैयार हैं. हमने देखा है कि कुल मिलाकर वैश्विक सुई प्रतिस्पर्धा की ओर ज्यादा बढ़ रही है और समझौतों से दूर जा रही है.
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भारत-अमेरिका संबंधों पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, “आज अमेरिका के साथ हमारे कुछ मुद्दे हैं, जिन पर हम अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं. इसके कारण हम पर टैरिफ लगाया गया है, हमने इसे सार्वजनिक रूप से अनुचित करार दिया है. रूस से कारोबार करने के लिए हम पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है, लेकिन अन्य देश भी रूस के साथ कारोबार कर रहे हैं. हमें इन मुद्दों को हल करने की जरूरत है और हम इस पर सक्रियता से काम कर रहे हैं.










