Aligarh: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक बच्ची के हिजाब न पहले और परिवार वालों की ओर से हिंदी सिखाए जाने की बात कहने पर उसे स्कूल से निकाल दिया। पीड़ित पिता ने अलीगढ़ जिलाधिकारी से मामले की शिकायत की है। वहीं जिलाधिकारी ने दो सदस्यीय कमेटी का गठन कर मामले की जांच के आदेश दिए हैं। पिता का आरोप है कि बेटी हिंदी के अक्षरों को पहचानती तक नहीं है। उसे सिर्फ उर्दू ही सिखाई जाती है।
इस्लामिक मिशन स्कूल में पढ़ती है बच्ची
दरअसल, सोमवार को अलीगढ़ के ही रहने वाले मोहम्मद आमिर ने जिलाधिकारी को एक शिकायती पत्र दिया। आमिर ने बताया कि उसकी बेटी इस्लामिक मिशन स्कूल में पढ़ती है। पिता का आरोप है कि उसकी बेटी को हिजाब नहीं पहनने के कारण स्कूल से निकाल दिया गया है। आमिर का कहना है कि बेटी हिंदी के अक्षरों को पहचानती भी नहीं है। स्कूल में राष्ट्रगान भी नहीं कराया जाता है। सिर्फ उर्दू ही पढ़ाई जाती है।
UP | Complaint submitted during a public grievance hearing y'day by a man stating his daughter was expelled from her school for not wearing a hijab. She was also not being taught Hindi. A 2-member probe committee formed; action to be taken on school if guilty: Aligarh DM IV Singh pic.twitter.com/13t5zQmGiD
— ANI (@ANI) August 30, 2022
---विज्ञापन---
डीएम ने दो शिक्षाधिकारियों को सौंपी जांच
आमिर ने बताया कि उन्होंने एक दिन बेटी के स्कूल में जाकर जब इसकी शिकायत की तो स्कूल प्रबंधन उससे बहस करने लगा। बेटी को स्कूल से निकालने की नसीहत दी थी और अब बेटी को स्कूल से निकाल दिया है। पीड़ित ने सोमवार को जिलाधिकारी से मामले की शिकायत की। जिलाधिकारी ने तत्काल मामले में जांच के आदेश कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। वहीं बीएसए की ओर से खंड शिक्षाधिकारी और एबीएसए को जांच सौंपी है। मंगलवार को दोनों अधिकारियों ने स्कूल में जाकर मामले की जांच की।
दोनों पक्षों के बयान हुए दर्ज, डीएम को सौंपेंगे रिपोर्ट
अधिकारियों ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए हैं। आज यानी बुधवार को जांच अधिकारी अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेंगे। सूत्रों के मुताबिक स्कूल में जांच के लिए गए अधिकारियों ने पाया है कि बच्ची का स्कूल से नाम अभी काटा नहीं गया है। वहीं पीड़ित आमिर का कहना है कि उसे अब अपनी बच्ची को इस स्कूल में नहीं पढ़ाना है। उसके द्वारा जमा की गई स्कूल फीस, ड्रेस और कॉपी-किताबों का पैसा उसे वापस किया जाए।