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Mussoorie Sinking: क्या ‘पहाड़ों की रानी’ का भी होने वाला है जोशीमठ-कर्णप्रयाग जैसा हाल?

Mussoorie Sinking: उत्तराखंड (Uttarakhand) में संकट के बाद सिर्फ जोशीमठ (Joshimath) , कर्णप्रयाग (karnaprayag) या फिर टिहरी (Tihri) क्षेत्र में ही नहीं है। बल्कि अब मसूरी (Mussoorie Sinking) पर भी संकट के बादल छाने लगे हैं। स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों के माथे पर भी बल पड़ते दिखाई दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Mar 10, 2024 00:37
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Mussoorie Sinking

Mussoorie Sinking: उत्तराखंड (Uttarakhand) में संकट के बाद सिर्फ जोशीमठ (Joshimath) , कर्णप्रयाग (karnaprayag) या फिर टिहरी (Tihri) क्षेत्र में ही नहीं है। बल्कि अब मसूरी (Mussoorie Sinking) पर भी संकट के बादल छाने लगे हैं। स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों के माथे पर भी बल पड़ते दिखाई दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जोशीमठ, कर्णप्रयाग और टिहरी में हो रहे विकास कार्य ही प्राकृतिक आपदाओं का कारण माने जा रहे हैं।

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धीरे-धीरे कम हो रही मसूरी की सुंदरता

सभी को पता है कि भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित मसूरी देश के सबसे बेहतरीन हिल स्टेशनों में से एक है। यहां पीक सीजन के अलावा हर मौसम में देसी-विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि धीरे-धीरे इसकी सुंदरता न केवल कम हो रही है, बल्कि ऐसे कई स्थान भी यहां हो चले हैं, जहां जमीन धंसने की खबरें सामने आई हैं।

100 मीटर की सड़क 30 साल में उतनी धंसी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मसूरी के लंढौर और ऋषिकेश के पास अटाली गांव से भूस्खलन की सूचना मिली है। मसूरी में लंढौर चौक से लेकर कोहिनूर बिल्डिंग तक की 100 मीटर लंबी एक सड़क पिछले 30 सालों से धीरे-धीरे धंस रही है। विशेषज्ञों ने इसके पीछे का कारण निर्माण गतिविधियों और जलभराव बताया है।

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मसूरी प्रशासन ने दिया ये जवाब

मसूरी के एसडीएम शैलेंद्र सिंह नेगी ने हाल ही में लंढौर में देखी गई दरारों का निरीक्षण किया है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में जमीन धंसाव वर्तमान में काफी मामूली तौर पर है, लेकिन भविष्य को देखते हुए इसके कारणों का अध्ययन किया जा रहा है। कारणों का पता लगाने के बाद इस दिशा में सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।

इसके अलावा ऋषिकेश के पास अटाली गांव की जमीन में दरारें आ गई हैं। ग्रामीणों का दावा है कि क्षेत्र में बन रही रेलवे सुरंग के कारण सिंगटाली, लोदसी, कौड़ियाला और बवानी गांव प्रभावित हो रहे हैं।

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वर्ष 2001 में दी गई थी ये रिपोर्ट

जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली और आसपास के अन्य क्षेत्रों से मसूरी की कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है। सड़कें चौड़ी हो गई हैं। बुनियादी ढांचे में काफी वृद्धि और विकास देखा गया है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि  लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) ने वर्ष 2001 में कहा था कि पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण उस क्षेत्र के वहन-क्षमता नियमों पर आधारित होना चाहिए।

स्थानीय लोगों ने बताई सच्चाई

स्थानीय लोगों का कहना है कि मसूरी के नीचे सुरंग खतरनाक है, क्योंकि यह शहर की नींव को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके साथ ही देहरादून से मसूरी तक रोपवे भी प्रस्तावित है। लोगों का कहना है कि जिम्मेदारों को ध्यान दिया जाना चाहिए कि जोशीमठ में रोपवे और सुरंग दोनों का निर्माण बंद कर दिया गया है। सड़क निर्माण भी रोका गया है।

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Written By

Naresh Chaudhary

Edited By

rahul solanki

Edited By

Manish Shukla

First published on: Jan 16, 2023 01:47 PM
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