Badrinath Temple: उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में जमीन धंसाव की जांच के लिए केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों लगी हुई हैं। इसी बीच सरकार समेत लाखों लोगों के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है। जोशीमठ को बद्रीनाथ (Badrinath Temple) का प्रवेश द्वार और मुख्य मार्ग माना जाता है।
तीर्थयात्रा शुरू करने से पहले हजारों तीर्थयात्री यहां अपना ठहराव करते हैं, लेकिन जोशीमठ के वर्तमान हालातों को देखते हुए सभी की चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि जोशीमठ का अधिकांश क्षेत्र असुरक्षित घोषित किया गया है।
सड़कों में दरारों के साथ कई पुलिया भी टूटीं
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ में प्रवेश के बाद तीर्थयात्री बद्रीनाथ से आने-जाने के लिए सड़कों का इस्तेमाल करते हैं। काफी संख्या में लोग यहां रुकते भी हैं, लेकिन अब यहां कई घरों और सड़कों में दरारें आ गई हैं। यहां तक कि रास्तों में पड़ने वाली पुलिया भी टूट कर उखड़ रही हैं। राज्य सरकार ने कहा है कि यात्रा प्रभावित नहीं होगी।
इस हाईवे का काम भी रोका गया
बताया गया है कि ऑल वेदर चार धाम सड़क परियोजना के तहत अधिकारी बद्रीनाथ के लिए एक बाईपास तैयार कर रहे हैं। यह जोशीमठ से लगभग 9 किमी पहले हेलंग से शुरू होता है और जोशीमठ के मारवाड़ी रोड पर खत्म होता है, लेकिन यह परियोजना अभी अधूरी है। स्थानीय लोगों ने इसका विरोध कर रहे हैं, इसलिए काम को रोका गया है। अनुमान है कि यह मई के पहले सप्ताह तक तैयार नहीं हो सकती है, जबकि इस दौरान यात्रा शुरू हो जाती है।
इन वर्षों में इतने लाख लाख लोग पहुंचे
हाल के वर्षों में तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्थानीय अधिकारियों के संकट को बढ़ा दिया है। यात्रियों की ज्यादा संख्या का मतलब हैं वाहनों की भी बड़ी संख्या है। इससे इलाके पर ज्यादा दबाव है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में 6.5 लाख तीर्थयात्री बद्रीनाथ गए थे। इसके बाद वर्ष 2017 में यह 9.2 लाख, वर्ष 2018 में 10.4 लाख और 2019 में 12.4 लाख थी। वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में यात्रा कम रही। इसके बाद वर्ष 2022 में यह संख्या बढ़कर 17.6 लाख हो गई।
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इस दिन खुलते हैं बद्रीनाथ के कपाट
हर वर्ष बसंत पंचमी के मौके पर बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तारीख घोषित की जाती है। आमतौर पर तीर्थयात्रियों के लिए धाम के कपाट अप्रैल के अंतिम सप्ताह या मई के पहले सप्ताह में खोल दिए जाते हैं। वर्ष 2022 में बद्रीनाथ के कपाट 8 मई को खोले गए थे। जबकि केदारनाथ यात्रा 6 मई को शुरू हुई थी।
यात्रा शुरू होने में मात्र तीन महीने का समय
अधिकारियों के पास पहाड़ी शहर में चीजों को व्यवस्थित करने या एक सुरक्षित विकल्प खोजने के लिए तीन महीने से भी कम समय है। 2 जनवरी को मामला सामने आने के बाद से जोशीमठ में अब तक 849 घरों, होटलों, सड़कों और अन्य इमारतों में दरारें देखी गई हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दौरे के समय कहा था कि न तो औली में शीतकालीन खेल और न ही बद्रीनाथ यात्रा प्रभावित होगी।
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