Chamoli Avalanche Survivor Horrible Story: उत्तराखंड के चमोली जिले के सीमांत क्षेत्र माना गांव के पास 28 फरवरी की सुबह हिमस्खलन (Avalanche) हुआ था। ग्लेशियर टूटने से आए बर्फीले तूफान से बर्फ में सीमा सड़क संगठन (BRO) से बड़ा हादसा हो गया है। बताया जा रहा है कि इस हादसे में 58 मजदूर दब गए थे, जिनमें से 50 मजदूरों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया, लेकिन 8 मजदूरों की जान चली गई।
करीब 60 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चला। इस दौरान बचाए गए मजदूरों ने अपनी आपबीती सुनाई तो रौंगटे खड़े हो गए। एक मजदूर जगबीर सिंह करीब 25 घंटे बर्फ में दबा रहा और जिंदा रहा। उसने रेस्क्यू किए जाने के बाद बताया कि जब आंख खुली तो उसने क्या मंजर देखा और कैसे वह एक खोखे में छुपकर और बर्फ खाकर जिंदा रहा।
#WATCH | Joshimath, Uttarakhand | On the Chamoli avalanche rescue mission, ITBP DIG Manu Maharaj says, “It was a big operation in which Indian Army, SDRF, NDRF, Administration and other civil agencies along with ITBP were a part. After 3 days, this tough operation was… pic.twitter.com/If3JJLckoZ
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) March 3, 2025
करीब 25 घंटे कड़ाके की ठंड में बिताए
अमृतसर निवासी जगबीर सिंह ने बताया कि जब वह होश में आया तो चारों ओर सफेद चादर थी। उसने बगल में अपने सहकर्मी की लाश देखी तो वह सहम गया। उसका शरीर बर्फ के ढेर में फंसा हुआ था। उसके एक पैर में फ्रैक्चर था और सिर पर चोट लगी थी। जहां वह फंसा था, वहां कुछ दूरी पर एक खोखा था, जहां वह रेंगकर पहुंचा और वहां करीब 25 घंटे बिताए।
प्यास लगने पर बर्फ खाई और कड़ाके की ठंड से जूझता रहा। उसके पास सिर्फ एक कंबल था, जिसे आस-पास पनाह लिए लोग भी शेयर कर रहे थे। शुक्रवार की सुबह उत्तराखंड के चमोली जिले के ऊंचाई वाले गांव माना में बने शिविर में अपने कंटेनर में सो रहे थे कि हिमस्खलन हो गया और वे बर्फीले तूफान के कारण कई सौ मीटर नीचे गिर गए।
VIDEO | Uttarakhand avalanche rescue: Chamoli CM Sandeep Tiwari says, “The last body recovered has been brought to Joshimath in an Army chopper. It is only due to the cooperation of the army, Air Force, NDRF, and SDRF that we were able to complete this operation in record time. I… pic.twitter.com/h72NhqMSo1
— Press Trust of India (@PTI_News) March 3, 2025
3 से 4 फीट बर्फ में दबे थे सभी मजदूर
ज्योतिर्मठ के सैन्य अस्पताल में लाए गए हिमस्खलन पीड़ितों ने भी आपबीती सुनाई। उत्तरकाशी के मनोज भंडारी ने बताया कि तूफान इतना भयंकर था कि उसने कंटेनरों को सिर्फ 10 सेकंड में 300 मीटर नीचे लुढ़का दिया। कुछ देर के लिए बेहोश हो गया, फिर अहसास हुआ कि भागना असंभव है, क्योंकि चारों ओर 3-4 फीट बर्फ थी। किसी तरह बर्फ में नंगे पैर चलकर सेना के खाली गेस्ट हाउस में शरण लेने पहुंचे। बचाव दल 2-3 घंटे बाद आया।
वहीं बिहार के वैशाली जिले के मुन्ना प्रसाद ने बताया कि सभी कंटेनर लुढ़ककर अलकनंदा नदी की ओर चले गए थे। करीब 12 घंटे तक बर्फ में दबे रहे। बर्फ नथुने बंद कर रही थी और सांस लेना मुश्किल हो रहा था। बिहार के अविनाश कुमार ने बताया कि उनका पूरा शरीर बर्फ में दब गया था। उनके सिर से खून बह रहा था। 2 घंटे बाद सेना के जवानों ने बचाया। उनके सिर में 29 टांके लगे।
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के रहने वाले चंद्रभान, हिमाचल प्रदेश के विपिन कुमार, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ निवासी गणेश कुमार, मुरादाबाद के विजयपाल ने भी आपबीती सुनाई।
Men in uniform again came as saviour. An avalanche struck a GREF Camp near Mana village in Garhwal Sector, Chamoli. A number of labourers are feared to be trapped. Indian Army’s IBEX BRIGADE swiftly launched rescue ops in spite of continuing heavy snowfall and minor avalanches. pic.twitter.com/VWJGMTCwVx
— Baba Banaras™ (@RealBababanaras) February 28, 2025