Mayawati political Decisions: यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में अभी करीब 2 साल का वक्त है। इससे पहले यूपी में बसपा सुप्रीमो मायावती चर्चा में हैं। यूपी की चार बार सीएम रह चुकीं मायावती अचानक इतनी सक्रिय क्यों हुईं? पिछले 7 दिनों में उन्होंने 3 बड़े फैसले किए। पहला भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निकाल दिया। दूसरा भाई आनंद कुमार और रामजी गौतम को नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया और तीसरा भाई को हटाकर जाट चेहरे रणधीर बेनीवाल को नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया। ऐसे में मायावती के फैसलों से ज्यादा चर्चा में उनकी कार्यशैली है। आखिर मायावती को पार्टी की इतनी चिंता क्यों सता रही है? क्या उन्हें पार्टी पर कब्जे का डर है? इन सभी फैसलों में सतीश चंद्र मिश्रा का क्या रोल है? आइये पाॅलिटिकल एक्सपर्ट से समझते हैं पूरा मामला।
2007 में मायावती को यूपी में सत्ता सोशल इंजीनियरिंग के कारण मिली। पार्टी को प्रदेश में दलित, जाट, मुस्लिम और सवर्णों का साथ मिला था। इसी सोशल इंजीनियरिंग के दम पर बसपा ने 207 सीटें जीतकर सभी को हैरान कर दिया था। इस जीत में सतीश चंद्र मिश्रा का भी बड़ा योगदान था। सतीश चंद्र के कारण ही सवर्ण सपा की ओर आकर्षित हुए।
सतीश मिश्रा की कितनी भुमिका
बसपा में पिछले 20 साल में सतीश मिश्रा को छोड़कर कोई ऐसा नेता नहीं है जो प्रेस से बात करने के लिए अधिकृत हो, ऐसा क्यों है? क्या सतीश मिश्रा ही पार्टी में एकमात्र अंबेडकरवादी हैं। जानकारों की मानें तो बसपा दलित मूवमेंट से खड़ी हुई पार्टी है। देश में दलित राजनीति कभी विरासत की राजनीति नहीं रही है। पार्टी सवर्णों को साधने के लिए सतीश मिश्रा जैसे चेहरे को काफी समय से साथ रखकर बैठी है। पार्टी से कई नेता चले गए लेकिन सतीश मिश्रा अभी भी बरकरार है। ऐसे में नाम न छापने की शर्त पर एक रानजीतिक विश्लेषक ने कहा कि मायावती के राजनीतिक निर्णयों में सतीश मिश्रा की भी बड़ी भूमिका हो सकती है!
मायावती के सबसे खास लोगों में सतीश चंद्र मिश्रा
न्यूज24 के वरिष्ठ पत्रकार मानस श्रीवास्तव के अनुसार सतीश चंद्र मिश्रा की गिनती मायावती के सबसे खास लोगों में होती है। वे मायावती के सबसे खास लोगों में रहे हैं। जब भी मायावती पर कोई संकट आया तो उन्होंने सड़क से अदालत तक मायावती के लिए लड़ाई लड़ी। मौजूदा हालातों में जब मायावती को लगने लगा कि सतीश चंद्र मिश्रा के कारण गलत मैसेज जा रहा है तो उन्होंने सतीश चंद्र मिश्रा को पार्टी की दूसरी लाइन में खड़ा कर दिया। लोग कहते हैं कि हालिया फैसलों में सतीश चंद्र मिश्रा की सहमति शामिल थी। मायावती को कभी भी सतीश चंद्र मिश्रा से खतरा महसूस नहीं हुआ। सतीश चंद्र मिश्रा को वह हमेशा सोशल इंजीनियरिंग के फाॅर्मूले के तहत इस्तेमाल करती है।
ये भी पढ़ेंः पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली में BJP के दो बड़े नेताओं से की मुलाकात, मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज
पारिवारिक कलह या कुछ और
राजनीतिक चिंतक और चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर सतीश प्रकाश ने बताया कि मायावती पारिवारिक कलह के कारण बार-बार बड़े फैसले ले रही हैं। सबसे पहले उन्होंने भतीजे को पार्टी से निकाला, इसके बाद भाई को राष्ट्रीय समन्वयक बनाया। फिर दो दिन बाद भाई को फिर राष्ट्रीय समन्वयक के पद से हटा दिया। प्रोफेसर सतीश प्रकाश के अनुसार 2027 के चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी विरासत की पाॅलिटिक्स से दूर हो जाए तो ज्यादा बढ़िया होगा। स्वर्गीय कांशीराम जी के परिवार से आज कोई भी राजनीति में नहीं है। अगर आकाश आनंद मायावती की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते हैं तो बहनजी को अधिकार है कि वह पार्टी के हित में निर्णय ले सकती है।
प्रोफेसर सतीश प्रकाश ने बताया कि परिवर्तन सभी जगह पर संभव है। अगर असफलताओं के डर से हम कोई काम नहीं करें यह बिल्कुल ही गलत होगा। एक समय था जब पार्टी से टिकट मिलने का मतलब जीत की गारंटी हुआ करता था। हां अभी पार्टी दिक्कतों के दौर से गुजर रही है। यह बात सही है।
ये भी पढ़ेंः Video: बसपा से निकाले आकाश आनंद को कांग्रेस से बड़ा ऑफर, उदित राज बोले- राहुल से मिलवाऊंगा