Dev Deepawali 2022: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अयोध्या में छोटी दिवाली के दिन हुए दीपोत्सव के बाद अब काशी में देव दीपावली का भव्य आयोजन होने जा रहा है। तिथि के अनुसार इसे 8 नवंबर को मनाया जाना था, लेकिन इस दिन पड़ रहे चंद्र ग्रहण के कारण इसे एक दिन पहले यानी 7 नवंबर को मनाया जा रहा है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होती है
देव दीपावली कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से शुरू होकर पांचवें दिन समाप्त होती है। इस दिन कार्तिक पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा की रात) होती है। मान्यता है कि यह दिन त्रिपुरासुर राक्षस पर भगवान शिव की जीत का प्रतीक है, इसलिए इसे त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार देव दीपावली या देव दिवाली सोमवार को मनाई जा रही है।
#WATCH | Uttar Pradesh: CM Yogi Adityanath inspected Namo ghat in Varanasi ahead of Dev Deepavali. pic.twitter.com/j2X5lN5sH5
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 6, 2022
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सीएम योगी पहुंचे काशी, तैयारियां देखीं
चूंकि वाराणसी को भगवान शिव का धाम भी कहा जाता है, इसलिए यहां देव दीपावली को विशेष रूप से मनाया जाता है। शासन की ओर से खास तैयारियां की जाती हैं। रविवार को प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी काशी पहुंचे। उन्होंने नमो घाट पर तैयारियों का जायजा लिया। समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से सीएम योगी का वीडियो जारी किया गया है।
कब से कब तक रहेगा समय
हालांकि कार्तिक पूर्णिमा इस साल 8 नवंबर को है, लेकिन इस दिन चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। प्रदोषकाल देव दीपावली का मुहूर्त उसी दिन शाम 05:14 बजे से शाम 07:49 बजे तक यानी 2 घंटे 35 मिनट तक रहेगा। साथ ही पूर्णिमा तिथि 7 नवंबर को शाम 04:15 बजे शुरू होकर 8 नवंबर को शाम 04:31 बजे समाप्त होगी।
दीपदान, साउंड शो, चित्रकारी, लोकगीत व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच मनेगी देव दीपावली। काशी की धरा पर होगा देवताओं का पुनः आगमन।
इस दिव्य आयोजन की भव्यता की अनुभूति करने आप भी आएं वाराणसी।#DevDeepawali #DevDeepawali2022 #KartikPurnima #DevDiwali #Varanasi #Kashi #Banaras pic.twitter.com/BqpF5PEO57
— Dharmarth Karya Vibhag, Uttar Pradesh (@DharmarthKarya) November 6, 2022
क्यों मनाई जाती है देव दीपावली
पौराणिक कथाओं के अनुसार राक्षस तारकासुर के तीन बेटे (तारकक्ष, विद्युतुमली और कमलाक्ष) थे। जिन्हें त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता है। अपनी कठोर तपस्या से त्रिपुरासुर ने भगवान ब्रह्मा को प्रभावित किया और अमरता का वरदान देने के लिए कहा।
हालांकि भगवान ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया कि उन्हें केवल एक तीर से मारा जा सकता है। आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद, त्रिपुरासुर ने कहर बरपाया और सामूहिक विनाश करना शुरू कर दिया। उन्हें हराने के लिए भगवान शिव ने त्रिपुरारी या त्रिपुरांतक का अवतार लिया और उन सभी को एक तीर से मारा। इसलिए इस दिन को देव दीपावली के तौर पर मनाया जाता है।