UP Prayagraj Maha Kumbh 2025 : दुनिया ने प्रयागराज के महाकुंभ से नए भारत का नया उत्तर प्रदेश देखा। पिछले कुछ सालों में कानून-व्यवस्था, सड़क, अस्पताल जैसे मुद्दों पर उत्तर प्रदेश की छवि बदली है। महाकुंभ 2025 ने लोगों की बदली धारणाओं को और पुख्ता किया है। अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि महाकुंभ ने ये कैसे किया? इसमें किस-किस की भूमिका रही? महाकुंभ की ओर जाती सड़कों, प्रयागराज की चमचमाती रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड और एयरपोर्ट ने उत्तर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर पहली नजर में लोगों की धारणा बदलना शुरू किया।
महाकुंभ पहुंचने के बाद मेला क्षेत्र में मौजूद पुलिसकर्मियों का रवैया जितना दोस्ताना और संवेदनशील रहा, वैसा दुनिया के किसी हिस्से में शायद की देखने को किसी को मिले। 45 दिनों तक लगातार ड्यूटी पर तैनात, हर किसी का पूछताछ केंद्र की तरह उनसे लगातार सवालों का सिलसिला और किसी भी तरह की परेशानी में सहायता की उम्मीद, ये कुछ ऐसी कसौटियां रहीं जिस पर उत्तर प्रदेश पुलिस पूरी तरह खरा उत्तरी। करीब 66 करोड़ 30 लाख लोगों की भीड़ को संभालने से बड़ी चुनौती दुनिया की किसी भी पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस कसौटी पर भी यूपी पुलिस ने अपना लोहा मनवाया।
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छेड़छाड़-चोरी, छिनौती की नहीं हुई एक भी घटना
चार हजार हेक्टेयर के विशाल परिक्षेत्र में फैले महाकुंभ में 45 दिनों में 66 करोड़ से ज्यादा लोगों के पहुंचने के बावजूद छिनौती, छेड़खानी, बलात्कार या चोरी की एक भी घटना नहीं हुई। महाकुंभ पहुंचने वालों से कई ऐसे किस्से सुनने को मिले कि पर्स गिर जाने पर उसमें मौजूद पहचान पत्र, फोन नंबर के जरिए यूपी पुलिस ने संपर्क कर उन्हें उनका पर्स लौटाया। श्रद्धालुजनों ने मेला क्षेत्र से 20-25 किलोमीटर दूर भी अपने वाहन पार्क किए तो दो दिन बाद लौटने के बाद भी उन्हें अपना वाहन और उसमें रखा सामान सुरक्षित मिला।
अभेद्य किले में बदल गया था मेला क्षेत्र
महाकुंभ के दौरान मेला क्षेत्र को अभेद्य किले में बदल दिया गया। इसके लिए कुल 75 हजार पुलिस-अर्धसैनिक बल तैनात किए गए, जो पिछले कुंभ से 40 प्रतिशत अधिक रहे। महाकुंभ क्षेत्र में A संचालित कैमरे, ड्रोन, टेथर्ड ड्रोन और एंटी ड्रोन का पहरा था। उन्नत तकनीक वाले ड्रोन से कम रोशनी में भी प्रभावी निगरानी संभव हुई। ड्रोन और सोनार सिस्टम की तैनाती और इंटीग्रेटिड कमांड कंट्रोल सेंटर से वास्तविक समय में रिपोर्टिंग की व्यवस्था की गई थी। आपात स्थिति के लिए एंटी मल्टी डिजास्टर व्हीकल तैनात था। रिमोट कंट्रोल वाली जीवन रक्षा पेटियों की व्यवस्था की गई। त्वरित कार्रवाई के लिए इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम टीम की तैनाती की गई। सात स्तरीय सुरक्षा चक्र और प्रयागराज व पड़ोसी जिलों में व्यापक तलाशी से सुरक्षा की किसी भी चूक के अंदेशा को खत्म किया गया।
चप्पे-चप्पे पर तैनात थे पुलिसकर्मी
इसमें कुल 57 पुलिस स्टेशन, 13 अस्थायी पुलिस स्टेशन और 23 चेकपॉइंट सहायक बने। NFSDF के कर्मी 24 घंटे तैनात किए गए और 700 से अधिक नावों पर भी सुरक्षाकर्मी सजग रहे। अत्याधुनिक तकनीक से लैस 3,800 जल पुलिसकर्मी और लगातार गश्त के लिए 11 HP स्पीड मोटर बोट तैनात किए गए। उच्च-तकनीक वाले 10 डिजिटल खोया-पाया केंद्र से महाकुंभ में बिछड़े लोगों का फिर से मिलन आसान हो गया। खोए हुए व्यक्ति की परिजनों से फोन पर बात कराने की सुविधा थी और खोए व लापता लोगों के लिए सार्वजनिक उद्घोषणा की व्यवस्था भी की गई। खोए और पाए व्यक्तियों की जानकारी सोशल मीडिया के प्लेटफार्म फेसबुक, ट्विटर पर पोस्ट की जाती रही।
खोया-पाया सेंटर ने 48500 लोगों को अपने बिछड़े परिजनों से मिलाया
महाकुंभ नगरी में स्नान के लिए पहुंचे 48,500 लोग अपने परिजनों से बिछड़े और खोया-पाया सेंटर की सुव्यवस्था की वजह से अपने परिवार वालों तक पहुंच पाए। विशेष बात यह कि परिजनों से बिछड़ने वालों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या अधिक रही। यह सभी कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों की प्रतीक्षा के बाद अपने परिजनों तक पहुंच गए।
महाकुंभ में चला दुनिया का सबसे बड़ा सफाई अभियान
महाकुंभ के दौरान हर दिन दुनिया का सबसे बड़ा सफाई अभियान दिन-रात चलता रहा। इसका परिणाम रहा कि प्रत्येक दिन औसतन डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों की मौजूदगी के बावजूद महाकुंभ में गंदगी कहीं नहीं दिखी। क्यूआर कोड आधारित डेढ़ लाख शौचालय की वजह से मेला क्षेत्र में हर तरफ स्वच्छता सुनिश्चित की गई। लगभग 850 समूहों में 10,200 स्वच्छताकर्मी, स्वच्छता निगरानी के लिए 1,800 गंगादल, 25,000 लाइनर बैगयुक्त डस्टबिन, 300 सक्शन गाड़ियां, जीपीएस से लैस 120 टिपर-हॉपर एवं 40 कॉम्पैक्टर ट्रक से स्वच्छता से किसी भी तरह का समझौता नहीं करने की प्रतिबद्धता जता दी गई थी।
रोजाना 600 मीट्रिक टन निकलता था कचरा
महाकुंभ में प्रतिदिन लगभग 600 मीट्रिक टन कचरा निकल रहा था। कूड़ा एकत्रित कर नैनी के बसवार स्थित सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जा रहा था। खास बात यह है कि लाइनर बैग्स पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल थे, यानी यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते। कूड़े-कचरे के निस्तारण और ट्रीटमेंट के लिए इसरो और बार्क की तरफ से तैयार की गई तकनीक का इस्तेमाल किया गया। मानव अपशिष्ट खासकर मल-मूत्र और खाना पकाने, बर्तन धोने वगैरह से पैदा हुए अपशिष्ट जल से निपटने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल हुआ। स्वच्छता ने सभी श्रद्धालुओं का ध्यान खींचा और स्वच्छ महाकुंभ ने नए उत्तर प्रदेश के रूप में लोगों की धारणा को बदलने का काम किया।
मेला क्षेत्र में 6 लोगों का हुआ फ्री इलाज
मेला क्षेत्र के 43 अस्पतालों में 6 लाख लोगों का मुफ्त में इलाज हुआ। यहां 1500 लोगों ने अपनी आंखें दान कीं। महाकुंभ के अस्पतालों में 20 बच्चों का जन्म हुआ। महाकुंभ की इन तस्वीरों ने उत्तर प्रदेश को लेकर आम नागरिकों की धारणा इस तरह बदली कि कर्नाटक से आए कुछ श्रद्धालु मेला क्षेत्र में लगे एक पोस्टर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों पर लगी धूल अपने कपड़े से साफ करते दिखे।
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