UP News: लखनऊ से मानस श्रीवास्तव की रिपोर्टः उत्तर प्रदेश सरकार ने विधान परिषद के लिए नामित होने वाले एमएलसी के लिए छह नामों की सूची राजभवन भेजी है। इस सूची में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. तारिक मंसूर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा का नाम भी शामिल है।
राजभवन भेजी गई इन नामों की सूची
भाजपा के बृज क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष रजनीकांत माहेश्वरी, वाराणसी जिला अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा, अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के अध्यक्ष डॉ. लालजी निर्मल और आजमगढ़ की फूलपुर पवई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके रामसूरत राजभर का नाम भी सूची में है।
सूत्रों का कहना है कि राजभवन जल्द ही इन नामों पर मंथन कर अपनी हरी झंडी देगा। नामित एमएलसी की ये सीटें पिछले साल अप्रैल-मई माह से खाली थीं। उस समय से इन नामों को लेकर भाजपा संगठन और कोर कमेटी मंथन कर रही थी। दो सप्ताह पहले इन नामों पर चर्चा हुई थी।
भाजपा ने की हर वर्ग को साधने की कोशिश
विधान परिषद के लिए नामित एमएलसी की सूची के जरिए भाजपा ने कार्यकर्ताओं के साथ अपने अजेंडा को भी साधने की कोशिश की है। राजभवन भेजी गई लिस्ट में पार्टी ने अपने पुराने साथियों पर भरोसा किया है, तो जातीय समीकरण को भी साधा है। छह एमएलसी के नामों में दो ओबीसी, एक दलित और एक पसमांदा मुसलमान को शामिल किया है। एक वैश्य और एक ब्राह्मण को अपने साथ लेकर परंपरागत वोटरों का भी भरोसा बनाए रखा है।
कासगंज के रहने वाले हैं रजनीकांत माहेश्वरी
रजनीकांत माहेश्वरी वैश्य समुदाय से आते हैं। कासगंज के रहने वाले माहेश्वरी भाजपा के बृज क्षेत्र के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। दो बार का कार्यकाल पूरा कर लेने के बाद उन्हें इसी महीने हटाया गया था। काशी क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव और रजनीकांत माहेश्वरी का नाम एमएलसी की सूची में सबसे आगे बताया जा रहा था।
इनमें संगठन ने रजनीकांत माहेश्वरी पर मुहर लगाई। रजनीकांत ने भाजपा संगठन में वॉर्ड स्तर से अपना करियर शुरू किया था। हटाए गए बाकी तीन अध्यक्षों को पहले ही प्रदेश संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष बनाकर समायोजित किया जा चुका है।
राम मंदिर आंदोलन से जुड़े थे हंसराज विश्वकर्मा
वहीं, पिछड़े वर्ग से आने वाले वाराणसी के जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा ने भी 1989 में बूथ कार्यकर्ता के तौर पर अपना करियर शुरू किया था। वे पूर्व सीएम कल्याण सिंह के करीबी रहे और लंबे समय तक राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे। जब कल्याण सिंह ने भाजपा से अलग होकर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई थी तो हंसराज ने भी उनकी पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ा था। वह 2016 से लगातार जिलाध्यक्ष बने हुए हैं।
लालजी निर्मल के सहारे साधे दलित
उधर, दलित वर्ग से आने वाले अंबेडकर महासभा के अध्यक्ष डॉ. लालजी निर्मल मूल रूप से मीरजापुर के रहने वाले हैं। वह इस सरकार में तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने सीएम योगी को दलित मित्र की उपाधि से सम्मानित किया। इसके बाद उन्हें अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया।
वह इससे पहले समाजवादी पार्टी में भी प्रदेश सचिव रह चुके थे। अब लखनऊ में रह रहे डॉ. निर्मल पहले सचिवालय में समीक्षा अधिकारी और फिर अनुसचिव रहे। उनके निमंत्रण पर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अंबेडकर महासभा में आए थे। वह सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
रामसूरत राजभर का नाम भी शामिल
इनके अलावा आजमगढ़ के अधिवक्ता रामसूरत राजभर का नाम भी सूची में शामिल है। पिछड़ा वर्ग से आने वाले रामसूरत राजभर पुराने भाजपा नेता हैं। वह फूलपुर पवई से विधानसभा चुनाव लड़े थे, पर समाजवादी पार्टी के रमाकांत यादव से हार गए थे।