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Union Budget 2023: मोदी सरकार 2.0 का आखिरी बजट, जानें पर्यटन और फुटवियर इंडस्ट्री की क्या हैं उम्मीदें?

Union Budget 2023: केंद्र सरकार की ओर आम बजट 2023-2024 पेश होने जा रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यह सत्ताधारी दल के लिए वोटरों की अपेक्षा पूरी करने का आखिरी अवसर है। वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी सरकार 2.0 अपने आखिरी बजट (Union Budget 2023) में सभी वर्गों का ध्यान रखेगी। […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Feb 1, 2023 10:23
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Union Budget 2023

Union Budget 2023: केंद्र सरकार की ओर आम बजट 2023-2024 पेश होने जा रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यह सत्ताधारी दल के लिए वोटरों की अपेक्षा पूरी करने का आखिरी अवसर है। वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी सरकार 2.0 अपने आखिरी बजट (Union Budget 2023) में सभी वर्गों का ध्यान रखेगी। इसके अलावा उद्योग एवं व्यापार संगठन, टैक्स प्रोफेशनल और स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़े लोगों ने इस बजट को लेकर तमाम सुझाव केंद्रीय वित्तमंत्री को भेजे हैं।

उत्तर प्रदेश के इन उद्योगों ने बनाई अंतरराष्ट्रीय पहचान

बता दें कि उत्तर प्रदेश का आगरा जिला काफी महत्व रखता है। यहां की फुटवियर इंडस्ट्री, टूरिज्म और स्टोन क्राफ्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ता है। इन सभी क्षेत्रों से जुड़े लोगों की टैक्स की जटिलताओं को कम करने की मांग हमेशा से रही है। कुछ में आयकर छूट की सीमा बढ़ाने का भी निवेदन किया गया है।

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ज्यादातर लोगों की मांग टैक्स को लेकर ही है

कुछ व्यापारी वर्ग ऐसे भी हैं, जो सरकार से जीएसटी में सरलीकरण की आस को लेकर बैठे हैं। अन्य मांगों में एमएसएमई के लिए कमतर ब्याज दरों पर फंडिंग, निर्यात प्रोत्साहन के लिए स्कीम, आयात में टैक्स रियायतें शामिल हैं। अपने प्रयासों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता का परचम लहराने वाले ये उद्योग कुछ जरूरतों के पूरा होने की दरकार इस बजट से कर रहे हैं।

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इन उद्योगों को बड़ी राहत की उम्मीद

1 फुटवियर: श्रम आधारित कारोबार में विकास की अनेकों संभावनाएं हैं। निर्यात प्रोत्साहन के लिए योजनाएं मिल जाएं, सस्ते जूतों पर जीएसटी की दरें कम हो जाएं, टैक्स ढांचा सरल हो जाए, फंडिंग की व्यवस्था बेहतर हो जाए तो यह पारंपरिक उद्योग मौजूदा टर्नओवर को दोगुना कर सकता है।

मौजूदा टर्नओवर (देशीय एवं निर्यात): 10,000 करोड़
मौजूदा श्रम ताकत: चार लाख
संभावित प्रगति: एक लाख नए रोजगार, टर्नओवर दोगुना

आसान शर्तों पर लोन मिल जाए। ब्याज कम से कम हो। जोड़ियों पर टैक्स पांच फीसदी कर दिया जाए। यही सब वित्तमंत्री से उम्मीद है।
– सरवन सिंह, कारोबारी

2 खाद्य प्रसंस्करण एवं भंडारण: इस सेक्टर पर सरकार की कृपा होने से सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापना में सरकार के सहयोग की दरकार की जा रही है। इस उद्योग से जुड़े लोगों की मांग है कि जमीन की उपलब्धता के साथ टैक्स में राहत मिलनी चाहिए। आलू बोर्ड स्थापित हो, बीज विकसित करने को केंद्र बने।

श्रम शक्ति: दो लाख के करीब
कुल शीतगृह: 300
आलू अर्थव्यवस्था: 2500 करोड़

आगरा को लंबे अरसे से खाद्य प्रसंस्करण की आकर्षक स्कीम की जरूरत है। बीज में सुधार के लिए कृषि अनुसंधान के लिए बजट दिया जाए।
– राजेश गोयल, अध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशंस ऑफ इंडिया

3 स्टोन हैंडीक्राफ्ट एवं मार्बिल इन्ले: इस उद्योग से बड़ी संख्या में शिल्पकार जुड़े हैं। शहरी इलाकों का यह बड़ा कुटीर उद्योग है। सरकार के सहयोग से इसमें काफी विस्तार की संभावना है। प्रोत्साहन स्कीम, प्रशिक्षण केंद्र के साथ ही कुटीर स्तर पर तैयार होने वाले उत्पादों की मार्केटिंग में सहयोग चाहिए।

मौजूदा टर्नओवर (देशीय एवं निर्यात): 2000 करोड़
मौजूदा श्रम ताकत: पचास हजार
संभावित प्रगति: पचास हजार नए रोजगार, टर्नओवर दोगुना

हम लोगों को सरकार की तरफ से अच्छी योजना का इंतजार है। इस सेक्टर में आगे बढ़ने के लिए काफी दम है। सिर्फ प्रोत्साहन चाहिए।
– रजत अस्थाना, अध्यक्ष, हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन

4 पर्यटन: यह सेक्टर अन्य उद्योगों को जीवन देता है। कोरोना में काफी कुछ खोने के बाद अब यह उद्योग फिर से संभलने लगा है। यदि बजट में आगरा जैसे शहर के लिए सरकारी प्रोत्साहन मिल जाए, तो यह सेक्टर तरक्की की एक नई राह पकड़ सकता है। इस सेक्टर की बड़ी जरूरत टैक्स ढांचे में रियायत और उसकी जटिलता को कम होने की है।

मौजूदा टर्नओवर प्रत्यक्ष: 5000 करोड़
मौजूदा श्रम ताकत: एक लाख
संभावित प्रगति: टर्नओवर दो से तीन गुना, कई गुना नए रोजगार

सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय में ताजनगरी के लिए कई सौगातें दिए जाने की घोषणा की गई थीं। यही मिल जाए तो पर्यटन का भला हो जाएगा।
– प्रह्लाद अग्रवाल, अध्यक्ष, आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर

5 इंजीनियरिंग उद्योग: आगरा के इस सेक्टर में मशीनरी से जुड़े उपकरण और पार्ट, कृषि उपकरण, पुली, जनरेटर के सामान आदि आते हैं। टीटीजेड की भेंट चढ़ने के बाद इस सेक्टर ने कई बार संभलने का प्रयास किया, लेकिन लाभ नहीं हुआ। यदि इस सेक्टर को सरकारी प्रोत्साहन मिल जाए तो फिर से अच्छे दिन आ सकते हैं।

सभी श्रेणियों में कारोबार: एक हजार करोड़
मौजूदा श्रम शक्ति: एक लाख
संभावित प्रगति: टर्नओवर कई गुना, रोजगार में वृद्धि

छोटी इकाइयों को लोन की सुविधा मिलनी चाहिए। आज भी बैंक कोलेटरल मांगती हैं। उसके बाद महंगी ब्याज दर से कारोबार में उधार काम करना होता है।
– अमित जैन, इंजीनियरिंग कॉम्पोनेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन

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Written By

Naresh Chaudhary

First published on: Feb 01, 2023 10:23 AM
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