Rana Ayyub: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को पत्रकार राणा अय्यूब (Rana Ayyub) को बड़ा झटका दिया। उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। गाजियाबाद की विशेष पीएमएलए अदालत (PMLA Court) की ओर से जारी समन को चुनौती देने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटकाया था। बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले स्टे दिया था, लेकिन सुनवाई के दौरान याचिका को खारिज कर दिया है।
राणा की वकील ने कोर्ट में दिया ये तर्क
मामला मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) से जुड़ा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पत्रकार राणा अय्यूब की वकील वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट में कहा कि यह मामला उत्तर प्रदेश का नहीं, बल्कि मुंबई का है। अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। उस उसे एक ऐसी स्थिति में घसीटा जा रहा है, जहां उसकी सुरक्षा खतरे में है।
ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने ये कहा
जानकारी के मुताबिक पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गाजियाबाद की विशेष अदालत की ओर से जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था। ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि एजेंसी द्वारा गाजियाबाद की कोर्ट में शिकायत दायर की गई है, क्योंकि क्राउडफंडिंग अभियान की शुरुआत उत्तर प्रदेश से हुई। इसमें गाजियाबाद समेत कई इलाकों के लोगों को शामिल किया गया था।
ईडी ने विशेष कोर्ट में पेश की थी चार्जशीट
रिपोर्ट के मुताबिक राणा अय्यूब ने अपनी याचिका में अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए गाजियाबाद से शुरू हुई कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग का कथित अपराध मुंबई में हुआ था। बता दें कि पिछले साल 29 नवंबर को गाजियाबाद की विशेष पीएमएलए अदालत ने ईडी की ओर से दायर चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए राणा अय्यूब को तलब किया था।
इतने करोड़ रुपये की हुई थी उगाही
ईडी ने एक बयान में कहा कि राणा अय्यूब ने अप्रैल 2020 से केटो प्लेटफॉर्म पर तीन चैरिटी अभियान शुरू किए थे। इन तीनों अभियानों से कुल 2,69,44,680 रुपये की धनराशि जुटाई थी। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अभियान झुग्गीवासियों और किसानों के लिए धन जुटाने, असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य करने और देश में कोरोनोवायरस से प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए था।
राहत कार्यों में खर्च किए सिर्फ इतने रुपये
ईडी ने यह भी दावा किया था कि अय्यूब ने इन पैसों का इस्तेमाल अपने लिए किया। आरोपा है कि इसमें से 50 लाख रुपये की उन्होंने एफडी कराई। इसके अलावा 50 लाख रुपये एक नए बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए। जांच में सामने आया था कि राहत कार्य के लिए केवल 29 लाख रुपये का इस्तेमाल किया गया था।
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