सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में रामलीला के एक मामले में फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने फिरोजाबाद में रामलीला जारी रखने का आदेश दिया है। बता दें कि फिरोजाबाद के टूंडला में यह रामलीला एक स्कूल के मैदान पर हो रही थी, इस वजह से इस पर आपत्ति जताई गई। मामला इतना बढ़ गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामलीला मंचन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद समिति के लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर को हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समारोह शुरू हो चुका है, इसलिए यह इस शर्त के साथ जारी रहेगा कि छात्रों को कोई असुविधा न हो।
क्या था मामला?
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में दावा किया गया था कि 18 दिनों तक रामलीला के मंचन के दौरान शिक्षण गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित होगी। इसके अलावा बच्चों को खेल के मैदान से वंचित होना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि हाईकोर्ट ने उनका पक्ष सुने बिना ही एक तरफा फैसला दे दिया है।
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80 साल पुरानी है रामलीला
फिरोजाबाद के टूंडला के श्रीनगर में होने वाली रामलीला 80 साल पुरानी है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद गत सोमवार को रामलीला का मंचन रुकवा दिया गया था। इससे यहां लोगों में भारी तनाव फैल गया था। रामलीला महोत्सव समिति इसका आयोजन करता है। समिति के संयोजक जयजीव पाराशर और अध्यक्ष कृष्ण हरेंद्रपाल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के टूंडला में 80 साल पुरानी प्रसिद्ध रामलीला समारोह पर रोक लगाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दिया है। कोर्ट ने यूपी सरकार, जिला प्रशासन, हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया है।
प्रशासन को विकल्प का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा कि वह जिला प्रशासन से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कहे। साथ ही ऐसे समारोहों के लिए कोई वैकल्पिक स्थल चिन्हित करे ताकि स्कूलों के खेल के मैदानों का उपयोग केवल छात्र ही कर सकें।