Meet Sri Krishna Janmabhoomi Case Lawyer Hari Shankar and Vishnu Jain, नई दिल्ली/लखनऊ: एक ओर अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं, वहीं मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि का पुरातात्विक विभाग द्वारा सर्वे करवाए जाने पर सोमवार को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। यहां बड़ी चर्चा इस मामले की पैरवी करने वाले की है। यह चर्चा है इस मामले में हिंदू पक्ष की पैरवी कर रहे पिता-पुत्र की जोड़ी की। खास बात यह है कि यह जोड़ी सिर्फ इसी मामले में ही नहीं, बल्कि श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद और काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में भी चर्चा में रहे हैं। हर कोई वकील पिता-पुत्र की इस मशहूर जोड़ी के बारे में जानना चाहता है।
1976 हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से प्रैक्टिस शुरू थी हरि शंकर जैन ने
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के राजधानी नगर लखनऊ के रहने वाले हरिशंकर जैन ने 1976 में लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की पीठ से वकालत की शुरुआत की थी। बाद में वह सुप्रीम कोर्ट शिफ्ट हो गए। पुरानी रिपोर्ट्स पर गौर करें तो हरिशंकर जैन अपनी मां से मिले संस्कारों की वजह से ही हिंदुत्व के करीब आए। 6 दिसंबर 1992 को मां के निधन के बाद एक बार तो हरिशंकर जैन टूट चुके थे, लेकिन उनके संस्कार उनके अतर्मन में जिंदा रहे। इन्हीं संस्कारों का नतीजा रहा कि जब अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का विवाद गहराया तो मां की तेरहवीं के अगले दिन 20 दिसंबर को वह इस मामले में हिंदू पक्ष की तरफ से याचिका लेकर इलाहाबाद स्थित उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ के समक्ष प्रस्तुत हो गए। बताया यह भी जाता है कि हरिशंकर जैन को इस मामले में मुस्लिम पक्ष रखने के लिए प्रस्ताव आया, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।
हरिशंकर जैन साल 1993 में कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव भी लड़ चुके हैं। यह अलग बात है कि इसमें जीत सोनिया की हुई थी। इसके बाद उन्होंने सोनिया गांधी की इटलालियन नागरिकता को आधार बनाकर चुनाव काे चुनौती दे दी। सोनिया और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विवाह के साथ-साथ हरिशंकर जैन ने नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5(1) (सी) की वैधता को भी चैलेंज कर दिया। बाद में 2000 में सुप्रीम कोर्ट ने हरिशंकर जैन की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
9 अक्टूबर 1986 को जन्मे बेटे विष्णु जैन साथ लड़ते हैं केस
उधर, ठीक ‘मां पर पूत-पिता पर घोड़ा’ की कहावत को चरितार्थ कर 9 अक्टूबर 1986 को जन्मे बेटे विष्णु जैन भी इसी प्रोफेशन में आ गए। 2010 में बालाजी लॉ कॉलेज से डिग्री लेने के बाद पिता के मार्गदर्शन में वकालत शुरू कर दी। 2016 में विष्णु जैन ने सुप्रीम कोर्ट के लॉयर की परीक्षा पास की तो श्रीराम जन्मभूमि मामले में पिता के साथ आ खड़े हो गए। बड़ी बात है कि पिता-पुत्र की यह जोड़ी हिंदू धर्म से जुड़े 102 मामलों में पैरवी कर रहे हैं। इनमें सबसे पुराना मामला श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद है, जिसमें विजयश्री ने इस जोड़ी के कदम चूमे।
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मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले से लेकर मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा 27 हिंदू- जैन मंदिरों को तोड़कर कुतुब मीनार बनाने, ताजमहल के पूर्व शिवमंदिर होने का दावा, वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट 1995 को चुनौती देने के मामले में भी यही पिता-पुत्र पैरवी कर रहे हैं, वहीं वाराणसी में पनपे श्री काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में भी यही दोनों हिंदू पक्ष के लिए लड़ रहे हैं। हालांकि गौरी शृंगार मामले से हरिशंकर जैन को बीते दिनों हटा दिया गया है।
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…जब पिता ने रोक दिया था दो दिन का खाना
मीडिया से रू-ब-रू हो एडवोकेट हरिशंकर जैन ने बताया कि उनके पिता नेम चंद्र जैन भले ही खुद न्यायिक सेवाओं में थे, लेकिन वह हरिशंकर के हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने के पक्ष में नहीं थे। यहां तक कि जब श्रीराम जन्मभूमि मामले को लेकर हिंदू पक्ष से याचिका लगाई तो उस वक्त भी इनके पिता ने दो दिन के लिए भोजन से इनकार कर दिया था।