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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

SIR अभियान पर भिड़े सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक

उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग के एस आई आर अभियान पर सियासी जंग छिड़ी गयी है, ये मुद्दा अब राजनीतिक बहस का केंद्र भी बन गया है, समाजवादी पार्टी और योगी सरकार आमने सामने है, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एस आई आर प्रक्रिया में जातीय जनगणना का कॉलम जोड़ने की मांग की है. पढ़ें लखनऊ से मानस श्रीवास्तव की रिपोर्ट

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Versha Singh Updated: Oct 31, 2025 22:14

उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग के एस आई आर अभियान पर सियासी जंग छिड़ी गयी है, ये मुद्दा अब राजनीतिक बहस का केंद्र भी बन गया है, समाजवादी पार्टी और योगी सरकार आमने सामने है, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एस आई आर प्रक्रिया में जातीय जनगणना का कॉलम जोड़ने की मांग की है. वहीं, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने पलटवार करते हुए अखिलेश पर घुसपैठियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगा कर माहौल गर्म कर दिया है

अखिलेश यादव बोले- सामाजिक न्याय बिना जातीय जनगणना के अधूरा

अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि SIR के तहत जारी प्रक्रिया में जातीय जनगणना का प्राविधान जोड़ा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, जब तक जातीय जनगणना नहीं होगी, तब तक सामाजिक न्याय की सच्ची स्थापना असंभव है. अगर इसे शामिल किया गया, तो समाज में बराबरी और न्याय की दिशा में ठोस कदम उठेगा. हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी. सपा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि जातीय आंकड़ों से सरकार को यह समझने में मदद मिलेगी कि किन वर्गों को शिक्षा, रोजगार और विकास के अवसरों में और अधिक भागीदारी की जरूरत है.

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ब्रजेश पाठक का पलटवार – सपा को डर है, घुसपैठिए उजागर न हो जाएं

अखिलेश यादव के बयान पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने तीखी प्रतिक्रिया दी. ब्रजेश पाठक ने नाम लेते हुए कहा कि अखिलेश यादव घोर जातिवादी और घोर तुष्टीकरण की राजनीति करते है, उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी प्रदेश में चल रही SIR प्रक्रिया को लेकर घबराई हुई है, क्योंकि इस अभियान में मतदाता सूची से घुसपैठियों की पहचान और उन्हें हटाने की कार्यवाही हो रही है. ब्रजेश पाठक ने कहा, SIR शुरू होते ही सपा नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है. अखिलेश यादव जाति का कार्ड खेलकर घुसपैठियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. लगातार हार के बाद वे यूपी में जातिगत गोलबंदी कर अपनी खोई हुई जमीन तलाश रहे हैं।.

राजनीति में ‘SIR’ बना नया मुद्दा

जहां सपा SIR प्रक्रिया में जाति का नया कॉलम जोड़ने की अपनी मांग को सामाजिक न्याय और समानता का अवसर बता रही है, वहीं बीजेपी SIR के अभियान को सुरक्षा और पारदर्शिता की कवायद मान रही है. अखिलेश यादव की मांग और ब्रजेश पाठक की प्रतिक्रिया ने यूपी में SIR पर फिर से विवाद खड़ा कर दिया है जहां सपा बराबरी और सामाजिक न्याय की बात कर रही है, वहीं बीजेपी इसे पारदर्शिता से जोड़ रही है. ऐसे में SIR अभियान अब सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि बिहार की तरह यूपी में भी सियासत का बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.

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First published on: Oct 31, 2025 08:52 PM

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