SP leader Ravi Prakash resigned samajwadi Party: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे अखिलेश यादव देश के अलग-अलग हिस्सों में अपने कार्यक्रम के जरिए हर वर्ग को साधने में जुटे हुए हैं लेकिन इन तैयारियों के बीच कुर्मी वोटबैंक में अपनी पैठ रखने वाले सपा नेता रवि प्रकाश वर्मा ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। आपको बता दें कि रवि प्रकाश की ओर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से दिए गए इस्तीफे के बाद समाजवादी पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव जी के जीवनकाल में उनके मजबूत पिलर रहे, कूर्मि समाज के प्रभावी नेता रवि प्रकाश वर्मा ने सपा को बॉय- बॉय कहा !! pic.twitter.com/ZwZAcYmPzR
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सपा की आंतरिक गतिविधियों को बताया जिम्मेदार
सपा के बड़े चेहरों में गिने जाने वाले रवि प्रकाश वर्मा ने बीते गुरुवार को इस्तीफा देकर सपा को आंतरिक तौर पर कहीं न कहीं कमजोर कर दिया है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा दिया। अपने इस्तीफे का कारण उन्होंने लखीमपुर खीरी में सपा की आंतरिक गतिविधियों को बताया है। रवि प्रकाश वर्मा के इस्तीफे के बाद अब हर जगह उनके कांग्रेस ज्वॉइन करने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
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कौन हैं सपा नेता रवि प्रकाश वर्मा
आपको बताते चलें कि लखीमपुर-खीरी के गोला निवासी रवि प्रकाश वर्मा खीरी संसदीय सीट से दो बार सांसद और एक बार राज्यसभा सांसद चुने जा चुके हैं। इसके साथ ही साल 2023 के जनवरी महीने में सपा के तीसरी बार राष्ट्रीय महासचिव बने थे।
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यूपी के कुर्मी वोटबैंक पर अच्छी पकड़ रखते हैं रवि प्रकाश वर्मा
सपा के बड़े चेहरों में गिने जाने वाले रवि प्रकाश वर्मा का इस इस्तीफे के बाद कांग्रेस में जाना सपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा ऱहा है। वहीं, अगर रवि प्रकाश वर्मा कांग्रेस ज्वॉइन करते हैं तो रवि प्रकाश के जरिए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी के भीतर कुर्मी वोटबैंक को साधने की कवायत तेज कर सकती है। रवि प्रकाश के इस्तीफे के बाद बताया ये भी जा ऱहा है कि रवि प्रकाश वर्मा के कांग्रेस ज्वॉइन करते ही कुर्मी बिरादरी के कई अन्य बड़े चेहरे भी कांग्रेस की ओर रुख करेंगे। आपको बताते चलें कि रवि प्रकाश वर्मा की पहचान बड़े कुर्मी नेता के रूप में होती है। अब उनके कांग्रेस के पाले में जाने से खीरी ही नहीं बल्कि यूपी की धौरहरा, सीतापुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर बाराबंकी समेत आसपास के अन्य लोकसभा क्षेत्रों पर भी भारी असर पड़ेगा। इन लोकसभा क्षेत्रों के चुनाव में कुर्मी समाज के लोग निर्णायक की भूमिका में देखे जाते हैं।