Ramcharitramanas Row: समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने शुक्रवार को हिंदू संतों को ‘आतंकवादी’ और ‘शैतान’ कहकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। शुक्रवार को न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए मौर्य ने कहा, “जिन लोगों ने मेरी गर्दन और जीभ काटने की धमकी दी थी, वे संत थे या एक विशेष जाति से थे। अगर यही धमकी किसी और धर्म के व्यक्ति ने दी होती, तो उसे आतंकवादी कहा जाता।”
समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा कि संत मेरी जीभ और गर्दन काटने की धमकी दे रहे हैं, क्या वे आतंकवादी, शैतान और जल्लाद नहीं हैं? यदि वे वास्तव में उस धर्म में विश्वास करते जिसका वे समर्थन करने का दावा करते हैं, तो वे ऐसी बातें नहीं कह सकते।
#WATCH | "….If a person from any other religion would've talked about beheading someone or chopping off someone's tongue, they would've been branded as terrorists. If mahants are talking about beheading me&chopping off my tongue, are they not terrorists&butchers?"says SP Maurya pic.twitter.com/usQzOdBE4E
— ANI (@ANI) January 28, 2023
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जनवरी के शुरुआत में मौर्य ने दिया था विवादित बयान
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में सपा नेता ने महाकाव्य रामायण पर आधारित रामचरितमानस में विशेष जातियों और संप्रदायों पर अपमानजनक टिप्पणियों और कटाक्ष को हटाने की मांग करने के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था। ANI से बात करते हुए पूर्व बीजेपी नेता ने कहा था, “रामचरितमानस के कुछ हिस्सों में विशेष जातियों और संप्रदायों पर निर्देशित अपमानजनक टिप्पणियां और कटाक्ष हैं। उन्हें हटा दिया जाना चाहिए।”
मौर्य ने आगे दावा किया कि तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में दलित समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले शब्द हैं। उन्होंने कहा, “सरकार को प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए और संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। उसे यह देखना चाहिए कि किसी समुदाय की भावनाएं आहत न हों।”
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सपा चीफ ने मौर्य के बयान से खुद को किया था अलग
मौर्य की टिप्पणी पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने खुद को अलग कर लिया था। बता दें कि उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री के खिलाफ उनकी टिप्पणी को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई है। मौर्य के खिलाफ कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में हजरतगंज थाने में मामला दर्ज किया गया है।
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले साल जनवरी तक भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा थे लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने भाजपा का दामन छोड़ कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे।
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