Prayagraj Maha Kumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के आयोजन का समापन हो गया। इस महाकुंभ में 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं का शामिल होना दुनिया के लिए अविश्वसनीय घटना बन गई। यह दुनिया का किसी भी तरह का पहला आयोजन रहा, जहां 66 करोड़ से अधिक लोगों ने प्रत्यक्ष भागीदारी की। मानव इतिहास के किसी आयोजन में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के सहभागी होने के प्रमाण नहीं हैं। ये संख्या सनातन धर्म को मानने वाले 110 करोड़ लोगों की आधी से अधिक है।
महाकुंभ के दौरान पवित्र स्रानों में ही जितने लोगों ने हिस्सा लिया, वो कई देशों की आबादी से अधिक है। हर दिन कोई न कोई श्रवण कुमार की तरह बूढ़े पिता को तीर्थाटन कराते दिखा तो कहीं बहू अपनी सास को पीठ पर लादकर त्रिवेणी घाट को जाते दिखी। कहीं बूढ़े दादा पोते को डुबकी लगवाते नजर आए। खास से आम लोगों तक ने अपनी भागीदारी से किस तरह महाकुंभ के रूप में दुनिया को अभिभूत कर दिया और सनातन आस्था का ये ऐसा मनोविज्ञान है, जो हर पर भारी पड़ा। महाकुंभ में जितने लोगों को फ्री प्रसाद बांटा गया, वह भी अपने आप में कीर्तिमान है।
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45 दिनों में 66 करोड़ 30 लाख श्रद्धालु प्रयागराज आए
जर्मनी के ऑक्टोबरफेस्ट में लगभग 72 लाख और ब्राजील के रियो कार्निवल में लगभग 70 लाख पर्यटक आते हैं। हज के लिए लगभग 25 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन महाकुंभ के 45 दिनों में 66 करोड़ 30 लाख श्रद्धालु प्रयागराज आए। सनातनियों की आबादी करीब 110 करोड़ में आधे यानी 55 करोड़ से लगभग 10 करोड़ अधिक महाकुंभ पहुंचे। भारत और चीन के अलावा दुनिया के किसी भी देश की आबादी से ज्यादा लोगों ने महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाई। यूरोपीय संघ की आबादी 44 करोड़ 90 लाख है, उससे ज्यादा लोग महाकुंभ पहुंचे।
महाकुंभ में कब रही ज्यादा भीड़?
मकर संक्रांति : 3.5 करोड़ श्रद्धालु
मौनी अमावस्या : 8 करोड़ श्रद्धालु
बसंत पंचमी : 2.57 करोड़ श्रद्धालु
माघ पूर्णिमा : 2 करोड़ श्रद्धालु
महाशिवरात्रि : 1.53 करोड़ श्रद्धालु
दुनिया की मीडिया ने महाकुंभ को किया कवर
पूरी दुनिया की मीडिया ने महाकुंभ को कवर किया और इसके बारे में अपनी राय दी। अमेरिका के द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा कि यह एक ऐसा आयोजन था, जहां अमेरिका की कुल आबादी से ज्यादा लोग जुटे। द न्यूयॉक टाइम्स ने महाकुंभ में आम श्रद्धालुओं के साथ पर्यटक, नेता और हस्तियों के पहुंचने की चर्चा की। रॉयटर्स ने महाकुंभ में तकनीक के इस्तेमाल की वजह से इसके डिजिटलीकरण की प्रशंसा कर इसे डिजिटल महाकुंभ माना। द गार्डियन ने इसे पवों का पर्व और लोगों के घर का उत्साह पर्व बताया। इसी तरह सीएनएन, एक्सप्रेस ट्रिब्यून और बीबीसी ने भी महाकुंभ पर अपनी सकारात्मक टिप्पणी की।
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