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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

CPCB अपनी ही रिपोर्ट से पलटा, NGT से कहा- महाकुंभ में संगम का पानी नहाने लायक था

CPCB Report: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने महाकुंभ के दौरान कहा था कि संगम का पानी नहाने योग्य नहीं है। सीपीसीबी ने कहा था कि गंगा और यमुना नदियों में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का लेवल हाई हो गया। CPCB की इस रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया था। अब महाकुंभ खत्म होने के बाद CPCB ने एक नई रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महाकुंभ के दौरान संगम में पानी नहाने योग्य था। 

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: Mar 9, 2025 22:18
Maha Kumbh 2025
Maha Kumbh 2025

CPCB New Report: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को अपनी नई रिपोर्ट सौंपी है। अपनी नई रिपोर्ट में CPCB ने बताया है कि प्रयागराज में हाल ही में संपन्न महाकुंभ के दौरान गंगा का पानी नहाने लायक था। हालांकि, CPCB ने अलग-अलग दिन एक ही जगह से और एक ही दिन अलग-अलग जगहों से एकत्र किए गए पानी के नमूनों में गुणवत्ता को लेकर अंतर की बात कही है।  इस रिपोर्ट में प्रयागराज में हुए महाकुंभ के दौरान नदी की पानी की गुणवत्ता का आकलन किया गया है।

7 मार्च को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड की गई रिपोर्ट

CPCB की 28 फरवरी की तारीख वाली इस रिपोर्ट को 7 मार्च को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। अपलोड की गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis) के अनुसार, प्रयागराज में गंगा नदी और यमुना नदी में निगरानी स्थानों पर महाकुंभ के स्नान के दिनों के दौरान पानी की गुणवत्ता प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंड के तहत स्नान के लिए उपयुक्त थी।’ सीपीसीबी ने 12 जनवरी से लेकर अब तक हर हफ्ते  दो बार पानी की निगरानी की, जिसमें पवित्र स्नान के शुभ दिन भी शामिल हैं। यह निगरानी गंगा के 5  स्थानों और यमुना के 2  स्थानों पर की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि पानी की गुणवत्ता के आंकड़ों में भिन्नता कई फैक्टर्स के कारण थी, जिसमें सीवेज नालों, सहायक नदियों के प्रवाह और मौसम की स्थिति का प्रभाव शामिल है।

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ये भी पढ़ें:- Prayagraj Sangam का पानी नहाने लायक है या नहीं? जानें उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का जवाब

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

  • रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अलग-अलग तारीखों पर एक ही स्थान से लिए गए नमूनों के लिए विभिन्न मापदंडों जैसे पीएच, घुलित ऑक्सीजन (डीओ), जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) और फीकल कोलीफॉर्म काउंट (एफसी) के परिमाण में अहम बदलाव देखे गए।’
  • रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सांख्यिकीय विश्लेषण आवश्यक था क्योंकि एक ही स्थान से अलग-अलग तारीखों और एक ही दिन में अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए नमूनों में डेटा में भिन्न थे, जिसके कारण ये पूरे नदी क्षेत्र में समग्र नदी जल की गुणवत्ता को प्रतिबिंबित नहीं करते थे।’
  • रिपोर्ट के मुताबिक जल में ऑक्सीजन की मात्रा या डीओ (Dissolved oxygen), जल में कार्बनिक पदार्थों को खंडित करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा को मापता बीओडी (Biochemical Oxygen Demand) और सीवेज संदूषण का सूचक एफसी जल की गुणवत्ता के प्रमुख संकेतक हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, फीकल कोलीफॉर्म (FC) का औसत स्तर 1,400 था, जबकि स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 मिली है। डीओ 5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक के निर्धारित मानक के मुकाबले 8.7 था और बीओडी 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम या उसके बराबर की निर्धारित सीमा के मुकाबले 2.56 था।

पानी की स्वच्छता को लेकर क्या है विवाद?

दरअसल, प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के समापन से पहले संगम क्षेत्र में गंगा-यमुना के पानी की शुद्धता को लेकर दो रिपोर्ट सामने आई थी। इसे लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया था। सीपीसीबी ने एनजीटी को 3 फरवरी को एक रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें कहा था कि गंगा-यमुना के पानी में तय मानक से कई गुना ज्यादा फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया हैं। इसके बाद 18 फरवरी को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने एनजीटी को एक नई रिपोर्ट दी थी। इसमें सीपीसीबी की रिपोर्ट को खारिज किया गया था। इस पर एनजीटी ने कड़ी टिप्पणी करते हुए UPPCB से नई रिपोर्ट मांगी थी।

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Edited By

Satyadev Kumar

First published on: Mar 09, 2025 10:11 PM

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