---विज्ञापन---

वरुण गांधी का टिकट कटने के बाद पीलीभीत में दिलचस्प हुआ मुकाबला? सपा ने चला बड़ा दांव

Pilibhit Lok Sabha Seat Election Equation : राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। दलों ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर वीआईपी सीट पर उम्मीदवारों को उतारा है। सबकी नजरें यूपी की पीलीभीत लोकसभा सीट पर टिकी हैं, जहां भाजपा, सपा और बसपा ने अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है। क्या है पीलीभीत का चुनावी समीकरण?

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Jun 3, 2024 07:56
Share :
Pilibhit Lok Sabha Seat
यूपी की पीलीभीत लोकसभा सीट का क्या चुनावी समीकरण।

Pilibhit Lok Sabha Seat Election Equation : देश में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। कई लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई है। अब लोगों की निगाहें वीआईपी सीटों पर टिकी हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट भी आती है। रुहेलखंड क्षेत्र के अहम जिलों में शुमार पीलीभीत लोकसभा सीट पर सभी पार्टियों ने उम्मीदवार उतार दिए हैं। कई दशक तक इस सीट पर गांधी परिवार का कब्जा रहा, लेकिन इस बार भाजपा ने वरुण गांधी का टिकट काट दिया। सपा ने कुर्मी कार्ड खेला है, जिससे पीलीभीत में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा।

यह भी पढ़ें : कांग्रेस ने जारी की 7वीं लिस्ट, बिलासपुर से देवेंद्र सिंह यादव को मिला टिकट, देखें पूरी List

---विज्ञापन---

पीलीभीत संसदीय सीट का क्या है इतिहास

गांधी परिवार का पीलीभीत सीट से पुराना नाता रहा है। जनता दल की ओर से मेनका गांधी ने 1989 में पहली बार जीत हासिल की थी। साल 1991 में भाजपा का खाला खुला और परशुराम गंगवार सांसद बने। 1996 में फिर मेनका गांधी ने जनता दल से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने साल 1998 और 1999 में निर्दलीय जीत हासिल की। बाद में मेनका गांधी भाजपा में शामिल हो गईं। साल 2004 में वे भाजपा के टिकट पर सांसद बनीं। मेनका गांधी ने 2009 के चुनाव में अपने बेटे के लिए सीट छोड़ दी और वरुण गांधी ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया। 2014 में मेनका गांधी ने फिर वापसी की और विजयी रहीं। 2019 में वरुण गांधी फिर पीलीभीत से सांसद बने। इस सीट से मेनका गांधी 6 बार और वरुण गांधी दो बार लोकसभा सदस्य चुने गए।

---विज्ञापन---

भाजपा ने फिर उतारा बाहरी उम्मीदवार

पीलीभीत सीट पर बाहरी उम्मीदवार का कब्जा रहा। मां-बेटे पर बाहरी उम्मीदवार होने का आरोप लगता रहा है। पिछले चुनाव में पीलीभीत की जनता ने बाहरी उम्मीदवार के विरोध में NOTA में 9,973 (0.6%) वोट डाले थे। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने मेनका गांधी को सुल्तानपुर से उम्मीदवार बनाया, लेकिन पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काट दिया। पार्टी ने जितिन प्रसाद पर विश्वास जताते हुए उन्हें पीलीभीत से चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि, जितिन प्रसाद भी पीलीभीत के लोकल उम्मीदवार नहीं हैं। वे मूलरूप से शाहजहांपुर के रहने वाले हैं। बरेली मंडल में ही शाहजहांपुर जिला आता है।

यह भी पढ़ें : बक्सर से कटा टिकट तो क्या है अगला प्लान? अश्विनी चौबे 28 मार्च को करेंगे बड़ा ऐलान

कौन हैं भाजपा उम्मीदवार जितिन प्रसाद

ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद योगी सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं। वे कांग्रेस में लंबे समय तक रहे। इस दौरान वे यूपीए की सरकार में भी मंत्री थे। उन्होंने 2004 में शाहजहांपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। 2009 में वे धौराहरा सीट से सांसद बने। इसके बाद वे मोदी लहर में 2014 और 2019 में चुनाव हार गए। उन्हें 2017 विधानसभा चुनाव में तिलहर सीट से हार का सामना करना पड़ा था। जितिन प्रसाद ने साल 2021 में भाजपा का दामन थाम लिया। स्वच्छ छवि वाले नेताओं में उनकी गिनती होती है।

कौन हैं सपा उम्मीदवार भगवत सरन गंगवार

समाजवादी पार्टी ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर पीलीभीत में कुर्मी कार्ड खेला है। पार्टी ने पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार को उम्मीदवार बनाया है। वे बरेली की नवाबगंज सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं। वे सपा सरकार में दो बार मंत्री भी थे। सपा ने 2009 और 2019 में भगवत सरन गंगवार को बरेली लोकसभा सीट से टिकट दिया था, लेकिन वे हार गए थे। कुर्मी जाति से आने वाले भगवत सरन गंगवार मूलरूप से बरेली के नवाबगंज के रहने वाले हैं। ऐसे में अखिलेश यादव ने भी बाहरी कैंडिडेट पर दांव लगाया है। हालांकि, बरेली मंडल में पीलीभीत लोकसभा सीट आती है।

यह भी पढ़ें : कौन हैं रवनीत सिंह बिट्टू? पंजाब में कांग्रेस को दिया झटका, भाजपा में हुए शामिल

कौन हैं बसपा उम्मीदवार फूलबाबू

बसपा ने पीलीभीत से मुस्लिम उम्मीदवार अनीस अहमद खान उर्फ फूलबाबू को चुनावी मैदान में उतारा है। वे पीलीभीत के मूल निवासी हैं, लेकिन उन्हें 2009 और 2014 लोकसभा में इस सीट से हार का सामना करना पड़ा था। पीलीभीत में फूलबाबू के नाम से प्रसिद्ध अनीस अहमद खान पीलीभीत की बीसलपुर सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं। साथ ही वे बसपा सरकार में मंत्री भी थे। फूलबाबू के चुनावी मैदान में आने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

जानें क्या है जातीय समीकरण

पीलीभीत में पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। इस सीट पर कुर्मी और मुस्लिम समुदाय निर्णयक भूमिका में है। ऐसे में सपा ने कुर्मी, बसपा ने मुस्लिम और भाजपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार पर दांव लगाया है। अगर गांधी परिवार को छोड़ दें तो अबतक इस सीट पर कुर्मी उम्मीदवार ने सात बार जीत दर्ज की है।

HISTORY

Written By

Deepak Pandey

First published on: Mar 27, 2024 07:30 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें