Opposition Meet in Bihar: बिहार में 23 जून को होने वाली विपक्ष की बैठक से पहले उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने गुरुवार को एक ट्वीट करके कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा है। बता दें कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष की बिहार में बड़ी बैठक होने जा रही है।
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को अपने ट्विटर हैंडलर से लगातार कई ट्वीट किए। उन्होंने लिखा, यूपी में लोकसभा की 80 सीट चुनावी सफलता की कुंजी कहलाती है, किंतु विपक्षी पार्टियों के रवैये से ऐसा नहीं लगता है कि वे यहां अपने उद्देश्य के प्रति गंभीर और सही मायने में चिंतित हैं। बिना सही प्राथमिकताओं के साथ यहां लोकसभा चुनाव की तैयारी क्या वाकई जरूरी बदलाव ला पाएगी?
1.महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद/हिंसा आदि से ग्रस्त देश में बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि परमपूज्य बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही से लागू करने की क्षमता कांग्रेस, बीजेपी जैसी पार्टियों के पास नही
— Mayawati (@Mayawati) June 22, 2023
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मायावती ने कहा, लोग पहले अपने गिरेबान में झांकें
इसके बाद उन्होंने लिखा, वैसे अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी को ध्यान में रखकर इस प्रकार के प्रयास से पहले अगर ये पार्टियां, जनता में उनके प्रति आम विश्वास जगाने की नजर से, अपने गिरेबान में झांककर अपनी नीयत को थोड़ा पाक-साफ कर लेतीं तो बेहतर होता। ‘मुंह में राम बगल में छुरी’ आखिर कब तक चलेगा?
मायावती ने फिर लिखा, बल्कि अब लोकसभा आम चुनाव के पूर्व विपक्षी पार्टियां जिन मुद्दों को मिलकर उठा रही हैं और ऐसे में नीतीश कुमार द्वारा कल 23 जून की विपक्षी नेताओं की पटना बैठक ‘दिल मिले न मिले, हांथ मिलाते रहिए’ की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करता है।
इन मुद्दों का समाधान विपक्ष के पास नहीं
आखिर में बसपा मुखिया ने लिखा कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद/हिंसा आदि से ग्रस्त देश में बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि परमपूज्य बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही से लागू करने की क्षमता कांग्रेस, भाजपा जैसी पार्टियों के पास नहीं है।
3. वैसे अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी को ध्यान में रखकर इस प्रकार के प्रयास से पहले अगर ये पार्टियाँ, जनता में उनके प्रति आम विश्वास जगाने की गज़ऱ् से, अपने गिरेबान में झाँककर अपनी नीयत को थोड़ा पाक-साफ कर लेतीं तो बेहतर होता। ’मुँह में राम बग़ल में छुरी’ आख़िर कब तक चलेगा?
— Mayawati (@Mayawati) June 22, 2023
जानकारी के मुताबिक, विपक्ष की पटना बैठक को भाजपा के लिए संयुक्त विरोध के परिणाम के रूप में पहला अस्थायी कदम माना जा रहा है, जिसने 2019 में 545 लोकसभा सीटों में से 303 सीटें हासिल कीं। जानकारों का कहना है कि बैठक में कांग्रेस को उन पार्टियों के साथ एक मंच पर देखा जा सकता है, जो राज्यों में उसकी प्रत्यक्ष प्रतिद्वंद्वी हैं। जैसे तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी (आप)।