Noida News: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के बहुचर्चित निठारी हत्याकांड से जुड़े एक मामले में दोषी सुरेंद्र कोली की क्युरेटिव पिटीशन पर मंगलवार को आदेश सुरक्षित रख लिया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने खुली अदालत में संक्षिप्त सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया.
एकमात्र बचे मामले में लगाई अंतिम कानूनी गुहार
कोली की यह याचिका वर्ष 2005-06 में नोएडा के निठारी गांव में हुई सिलसिलेवार हत्या और दुष्कर्म की घटनाओं में से एक मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ दायर की गई थी. इस केस में कोली को 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2011 में उसकी मौत की सजा बरकरार रखी थी. बाद में जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दया याचिका पर अत्यधिक देरी को देखते हुए उसकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था.
सीजेआई ने माना मामला विचार योग्य
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान कहा यह मामला एक मिनट में विचार कर स्वीकार किए जाने योग्य है. पीठ ने टिप्पणी की कि दोषसिद्धि केवल एक बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी के आधार पर की गई थी, जिससे गंभीर कानूनी सवाल उठते हैं.
अन्य मामलों से हो चुका है बरी
कोली निठारी कांड से जुड़े 13 में से 12 मामलों में पहले ही बरी हो चुका है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अन्य सभी मामलों में उसे साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था. यदि सुप्रीम कोर्ट उसकी यह उपचारात्मक याचिका स्वीकार कर लेता है, तो कोली पूरी तरह से रिहा हो सकता है.
क्या है क्युरेटिव पिटीशन ?
क्युरेटिव पिटीशन भारतीय न्याय प्रणाली में अंतिम कानूनी उपाय होता है. पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद यदि याचिकाकर्ता यह साबित करता है कि न्यायिक प्रक्रिया में गंभीर चूक हुई है तो ही क्युरेटिव पिटीशन पर सुनवाई की जाती है.
आदेश जल्द होने की संभावना
कोर्ट की टिप्पणी और तर्कों को देखते हुए यह मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अब देशभर में कानूनी और सामाजिक हलकों में बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है.
क्या है निठारी कांड ?
वर्ष 2005-2006 में नोएडा के निठारी गांव में एक के बाद एक कई बच्चों और युवतियों के गायब होने और हत्या के मामले सामने आए थे. इसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. सुरेंद्र कोली और उसके मालिक मोनिंदर सिंह पंधेर को इन मामलों में गिरफ्तार किया गया था. दोनों को वर्षों की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद कई मामलों में साक्ष्य के अभाव में बरी किया जा चुका है.
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