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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

यूपी के इस शहर में घटे हिंदू, बढ़ी मुस्लिम आबादी, न्यायिक आयोग की रिपोर्ट से खुलासा

judicial commission report conclusion: 78 साल में 30% घटी हिंदू आबादी। यह कोई अनुमान नहीं बल्कि न्यायिक आयोग की रिपोर्ट का निष्कर्ष है। उत्तर प्रदेश के संभल जिले को लेकर आई ताजा रिपोर्ट ने राजनीति और समाज दोनों में हलचल मचा दी है। आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Vijay Jain Updated: Aug 29, 2025 22:20
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SAMBHAL

Judicial commission report conclusion: 1947 यानी आजादी के वक्त संभल में हिंदुओं की आबादी करीब 45% थी, लेकिन लगातार दंगों, हिंसा और पलायन के चलते यह संख्या धीरे-धीरे घटती गई। और अब 78 साल बाद यह केवल 15% रह गई है। यानी हिंदू आबादी में 30% की गिरावट दर्ज की गई है। उधर मुस्लिम आबादी का अनुपात इसी दौरान उल्टा सफर तय करता है। 1947 में ये करीब 55% थी और अब बढ़कर 85% तक पहुंच गई है। सवाल साफ है आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्या यह केवल प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि का असर है या फिर इसके पीछे गहरी और योजनाबद्ध साजिशें छिपी हैं?

यह भी पढ़ें: ‘संभल में हिंदुओं की घटती आबादी साजिश का नतीजा’, डेमोग्राफिक रिपोर्ट पर बोले BJP के जमाल सिद्दीकी

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नवंबर 2024 में बना था न्यायिक आयोग

यही जवाब तलाशने के लिए पिछले साल नवंबर 2024 की हिंसा के बाद राज्य सरकार ने एक न्यायिक आयोग बनाया था। यह आयोग तीन सदस्यों का था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा, रिटायर्ड आईएएस अमित मोहन और रिटायर्ड आईपीएस अरविंद कुमार जैन। आयोग ने 9 महीने की जांच, गवाहों के बयान और ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर करीब 450 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी गई है और जल्द ही विधानसभा में भी पेश की जाएगी।

शुरुआती रिपोर्ट में क्या आया था सामने

24 नवंबर 2024 की हिंसा से जुड़ी पुलिस और प्रशासन की शुरुआती रिपोर्ट में यह सामने आया था कि झगड़ा एक धार्मिक स्थल को लेकर शुरू हुआ। लेकिन देखते ही देखते हालात इतने बिगड़ गए कि बाजार, दुकानें और घर चलाए गए। न्यायिक आयोग ने अपनी जांच में साफ कहा कि हिंसा अचानक नहीं हुई बल्कि सुनियोजित तरीके से भड़काई गई थी। रिपोर्ट के अनुसार बाहर से उपद्रवियों को बुलाया गया था। सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाई गई और कुछ स्थानीय नेताओं ने माहौल को और गर्माने की भूमिका निभाई। आयोग ने पुलिस की लापरवाही की भी ओर इशारा किया और कहा कि शुरुआती घंटों में अगर सख्ती दिखाई जाती तो हिंसा फैलने से रोकी जा सकती थी।

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1947 से लेकर 2024 तक 15 बड़े दंगे

सबसे अहम बात आयोग ने यह दर्ज किया है कि हरिहर मंदिर के ऐतिहासिक अस्तित्व के प्रमाण मिले हैं और उसे तोड़ने के अफवा ने भीड़ को भड़काने की बड़ी भूमिका निभाई। आपको बता दें कि संभल की हिंसा कोई नई बात नहीं है। रिपोर्ट बताती है कि 1947 से लेकर 2024 तक 15 बड़े दंगे शहर ने देखे। सबसे खतरनाक और निर्णायक दंगा था 1978 का। आयोग ने दस्तावेजों और गवाहियों के आधार पर लिखा है कि 1978 में भड़के दंगे के दौरान सैकड़ों हिंदुओं ने अपना घर बार छोड़ दिया। उस दंगे की आग इतनी भयानक थी कि कई मोहल्ले खाली हो गए और उसके बाद हिंदू पलायन लगातार तेज हो चला।

रिपोर्ट यह भी बताती है कि 1978 के बाद संभल में धीरे-धीरे एक सामाजिक धार्मिक संतुलन बिगड़ने लगा। कुछ इलाके पूरी तरह मुस्लिम बहुल हो गए जिससे शहर का डेमोग्राफिक नक्शा बदल गया। यही नहीं इस दौर में बाहर से आए उपद्रवियों और आपराधिक गिरोहों ने भी हिंसा को बढ़ावा दिया। अब जबकि यह रिपोर्ट सामने आ चुकी है। राजनीतिक माहौल गमा गया है।

विधानसभा में पेश होगी रिपोर्ट

भाजपा नेताओं ने इसे अपनी दलीलों के समर्थन में पेश करते हुए कहा कि दशकों तक तुष्टीरण की राजनीति के कारण हिंदू समुदाय को संभल से पलायन करना पड़ा और मुस्लिम आबादी लगातार बढ़ती चली गई। दूसरी तरफ विपक्षी दलों ने इस रिपोर्ट को सरकार का राजनीतिक एजेंडा बताया है और आरोप लगाया है कि इसे चुनावी हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। रिपोर्ट अब विधानसभा में पेश होगी और उस पर बहस भी होगी। लेकिन फिलहाल इसने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या संभल का बदलता चेहरा केवल समय और परिस्थितियों का परिणाम है या फिर इसके पीछे सुनियोजित साजिशों और दशकों की राजनीतिक चूक की कहानी छिपी हुई है।

First published on: Aug 29, 2025 10:17 PM

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