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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

समाजवादी पार्टी का सनातन प्रेम, सियासी मजबूरी या कितना जरूरी? जानें क्या कहते हैं समीकरण?

रामजीलाल सुमन के मामले में ठाकुरों को नाराज कर चुके अखिलेश यादव अब यादव बनाम ब्राह्मण की लड़ाई में उलझ गए हैं। इटावा कांड के बाद अखिलेश यादव पर यह आरोप लगने लगे हैं कि वह ब्राह्मणों के विरोधी हैं। क्या है पूरा मामला, पढ़ें मानस श्रीवास्तव की रिपोर्ट।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Deepti Sharma Updated: Jun 30, 2025 15:52

इटावा में कथावाचक कांड के बाद से उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण बनाम यादव की इस सियासी जंग में अखिलेश यादव का सनातन प्रेम उमड़ पड़ा है। अखिलेश यादव खुद को सबसे बड़ा सनातन प्रेमी बता रहे हैं और दावा कर रहे हैं की समाजवाद ही असली सनातन है। रामजीलाल सुमन के मामले में ठाकुरों को नाराज कर चुके अखिलेश यादव अब यादव बनाम ब्राह्मण की लड़ाई में उलझ गए हैं। इटावा कांड के बाद अखिलेश यादव पर यह आरोप लगने लगे हैं कि वह ब्राह्मणों के विरोधी हैं। यादव कथावाचकों के समर्थन में तो उतरे लेकिन ब्राह्मणों के पक्ष में कुछ नहीं बोला है। यूपी में इसको लेकर नई सियासी जंग शुरू हो गई है।

पीडीए में सिर्फ पिछड़े दलित 

इस खतरे को अखिलेश यादव भी जानते हैं कि जिन ब्राह्मणों ने 2012 में अखिलेश यादव की सरकार बनाई। उसमें मुस्लिम और यादव के साथ बड़ी संख्या में क्षत्रिय और दूसरी स्वर्ण जातियां भी थी, लेकिन जिस तरह से कथा वाचक कांड के बाद उत्तर प्रदेश में जातीय विद्वेष फैला है और उससे इस बात का बड़ा खतरा है कि तमाम अगड़ी जातियां समाजवादी पार्टी के विरोध में खड़ी हो जाएं। भारतीय जनता पार्टी भी इसको हवा दे रही है, लेकिन अखिलेश यादव कह रहे हैं की असली सनातन धर्म तो समाजवादी लोग पालन कर रहे हैं। अखिलेश यादव दबे शब्दों में बुलडोजर से लेकर के एनकाउंटर तक पर सवाल उठाते हैं। असली सनातन किसी को परेशान करना किसी की हत्या करना नहीं है।

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डैमेज कंट्रोल में जुटे अखिलेश 

ब्राह्मण बनाम यादव की इस जंग में खुद को ब्राह्मणों का समर्थक बताने के लिए अखिलेश यादव अपनी पार्टी के ब्राह्मण नेता संतोष पांडे के आवास पहुंचे परिवार के साथ चाय नाश्ता किया। संतोष पांडे की माता ने अखिलेश यादव को गिफ्ट भी दिए। बाद में समाजवादी पार्टी के लोगों ने बताया कि ब्राह्मण तो हमेशा सही समाजवादी पार्टी के साथ रहे, लेकिन अखिलेश के इस सनातन प्रेम के बीच भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से धीरेंद्र शास्त्री पर अखिलेश यादव के दिए गए बयान को मुद्दा बनाकर हमला कर रही है और कह रही है कि समाजवादी पार्टी तुष्टिकरण की राजनीति कर सकती है और सनातन से उसका कोई लेना देना नहीं है।

जतीय विद्वेष से सपा और बीजेपी दोनों को खतरा

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी हो या समाजवादी पार्टी जातीय विद्वेष बढ़ने से दोनों को ही नुकसान है। बीजेपी को पता है कि हिंदुत्व के नाम पर तमाम जातियां उसके साथ एकजुट खड़ी रहे तो समाजवादी पार्टी की कोशिश है कि उसके पीडीए के फार्मूले में अगडी जातियां उसके साथ रहेगी, तभी 2027 का सपना पूरा होगा।

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First published on: Jun 30, 2025 03:51 PM

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