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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

12 हजार करोड़ से बढ़कर 15000 हजार करोड़ के करीब पहुंची ED की जांच, मनोज गौड़ की बढ़ेंगी मुश्किलें

Greater Noida News: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जेपी समूह के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ की बृहस्पतिवार को हुई गिरफ्तारी के बाद अपनी जांच और तेज कर दी है. एजेंसी घर खरीदारों द्वारा विभिन्न परियोजनाओं में जमा कराए गए लगभग 14,599 करोड़ रुपये की उस रकम की पड़ताल कर रही है.

Author Written By: News24 हिंदी Updated: Nov 14, 2025 07:25
Manoj Gaur | Money Laundering | Jaypee Infratech
मनोज गौड़

Greater Noida News: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जेपी समूह के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ की बृहस्पतिवार को हुई गिरफ्तारी के बाद अपनी जांच और तेज कर दी है. एजेंसी घर खरीदारों द्वारा विभिन्न परियोजनाओं में जमा कराए गए लगभग 14,599 करोड़ रुपये की उस रकम की पड़ताल कर रही है, जिसे परियोजनाओं में लगाने के बजाय कथित रूप से दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर किया गया. शुरू में यह जांच 12 हजार करोड़ से शुरू हुई, अब यह 15000 हजार करोड़ के करीब पहुंचती हुई नजर आ रही है.

जांच में हुआ बड़ा खुलासा

जांच में खुलासा हुआ है कि खरीदारों की भारी-भरकम रकम को आवासीय परियोजनाओं से हटाकर जेपी समूह की हेल्थकेयर, स्पोर्ट्स कंपनियों और ट्रस्ट से जुड़े उपक्रमों में भेजा गया. ईडी ने यह जांच मई माह में शुरू की थी. इसी क्रम में 23 मई को सेक्टर-128 स्थित जेपी के कॉरपोरेट और मार्केटिंग ऑफिस सहित करीब 15 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. टीमों ने मनोज गौड़ के आवास, गुलशन बिल्डर्स के दफ्तर और जेपी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने वाली एजेंसी सुरक्षा के दफ्तरों में भी तलाशी ली थी. यह कार्रवाई घर खरीदारों और निवेशकों के 12,000 करोड़ रुपये के कथित फंड डायवर्जन की शिकायतों के आधार पर की गई. दिल्ली व उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में दर्ज कई मामलों और घर खरीदारों के लगातार हो रहे प्रदर्शनों ने भी जांच की दिशा को और मजबूत किया.

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5,500 करोड़ की जरूरत

नोएडा स्थित जेपी विशटाउन की 16 अधूरी परियोजनाओं में लगभग 20 हजार निवेशक जुड़े हुए हैं, जिनमें 150 से अधिक टावर शामिल हैं. अप्रैल में जेपी और सुरक्षा समूह की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया गया था कि परियोजना क्षेत्र में 24 लाख वर्गफुट जमीन खाली पड़ी है, जिसे बेचकर निर्माण कार्य तेज किया जा सकता है. इसमें 2,900 करोड़ रुपये के खर्च और भविष्य में निवेशकों से मिलने वाले 1,200 करोड़ रुपये का अनुमान भी साझा किया गया था. इसके अतिरिक्त सुरक्षा समूह को 25 लाख वर्गफुट क्षेत्रफल वाले 1,100 रेडी-टू-सेल फ्लैट बेचने का अधिकार दिए जाने की बात भी सामने आई थी.

जांच का दायरा और बढ़ेगा

ईडी की कार्रवाई अब जेपी समूह से जुड़े उन अन्य बिल्डर्स और कारोबारी समूहों तक भी पहुंचने की संभावना है, जिनके साथ बीते वर्षों में बड़े वित्तीय लेनदेन हुए हैं. एजेंसी यह जांच कर रही है कि इन लेनदेन का उद्देश्य क्या था और क्या इनसे घर खरीदारों के हित प्रभावित हुए. खरीदारों की वर्षों पुरानी उम्मीदें और अधूरी इमारतें एक बार फिर जांच के केंद्र में हैं. ईडी की यह कार्रवाई बड़े फंड डायवर्जन के जाल को उजागर करेगी.

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ये भी पढ़ें: UP को पहला एक्सप्रेस वे देने वाला जेपी ग्रुप का एमडी मनोज गौड़ कैसे पहुंचा सलाखों के पीछे, जानें पूरा मामला ?

First published on: Nov 14, 2025 07:25 AM

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