Uttarakhand News: देव भूमि उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आई है। जोशीमठ में जमीन धंसाव का दौर देखने के बाद अब ऋषिकेश के कुछ इलाकों में मकानों के फर्श से पानी आने की समस्या खड़ी देखने को मिल रही है। इसे देखते हुए लोगों में हड़कंप है। उनका दावा है कि यहां बारिश का बहुत ज्यादा असर नहीं है, लेकिन फर्श से पानी आ रहा है।
न्यूज साइट टीओआई के अनुसार, ये मामला ऋषिकेश में ऊपरी गंगानगर क्षेत्र का है। इसी तरह का मामला देहरादून से लगभग 40 किमी दूर स्थित रायवाला क्षेत्र से भी सामने आया है। यहां करीब 20 परिवारों का दावा है कि उनके घरों की दीवारों और फर्शों में दरारें आ गई हैं। बता दें कि कुछ माह पहले ही उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की समस्या सामने आई थी। इसके कारण कई इमारतों और भवनों को गिराना पड़ा था। सैकड़ों लोगों को अन्य अन्य स्थानों पर शिफ्ट किया गया था।
लोगों ने बताई बड़ी समस्या
रिपोर्ट में अपर गंगानगर में रहने वाले एक शख्स ने कहा है कि यह बारिश या बाढ़ का पानी नहीं बल्कि साफ पानी है। उन्होंने बताया कि ये भूजल है, जो दरारों से रिस कर बाहर आ रहा है। गली में करीब चार घरों में इसी प्रकार की समस्या है। हम परेशान हैं क्योंकि इससे घरों की नींव कमजोर हो रही है।
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अधिकारियों ने कही ये बात
हालांकि अधिकारियों का कहना है कि दोनों क्षेत्र गंगा नदी के किनारे स्थित हैं। जहां भूजल स्तर आमतौर पर ऊंचा रहता है। इसके अलावा क्षेत्र में भारी वर्षा हो रही है, जिससे भी जलस्तर में वृद्धि हो सकती है। अधिकारी ने कहा है कि सभी प्रकार के अतिक्रमणों को प्राथमिकता के आधार पर हटाया जाना चाहिए। हालांकि, विशेषज्ञों की मानें तो नदियों और उनकी सहायक नदियों के प्राकृतिक मार्ग पर अतिक्रमण किया गया है जो इन अजीब समस्या का कारण हो सकता है।
ये भी हो सकता है कारण
देहरादून की रहने वाली एक महिला ने रिपोर्ट में कहा है कि गंगा और यमुना नदी प्रणालियां तलहटी कस्बों से होकर बहती हैं। इन क्षेत्रों में लगातार निर्माण के कारण पानी से भरे जलभृतों (पानी का भंडारण) से अतिरिक्त पानी बाहर निकल रहा है। गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर के एक वैज्ञानिक ने कहा कि इस स्थिति के पीछे भारी बारिश के कारण द्रवीकरण या रिसाव हो सकता है।
प्रशासन ने की ये तैयारी
ऋषिकेश के एसडीएम योगेश मेहरा ने रिपोर्ट में कहा कि ऋषिकेश समेत पूरे क्षेत्र में हमने जल-जमाव वाले क्षेत्रों में 16 से ज्यादा वाटर सक्शन पंप लगाए हैं। आपदा प्रबंधन अधिकारियों से और ज्यादा पंपों लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जा रहा है। साथ ही प्रभावित क्षेत्रों का वैज्ञानिक सर्वेक्षण भी किया जाएगा।