Char Dham Yatra 2023: देश की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र यात्राओं में से एक चारधाम यात्रा 22 अप्रैल से शुरू होने जा रही है। उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी आंकड़ों को मानें तो चारधाम यात्रा के लिए अभी तक करीब 12.50 लाख श्रद्धालु अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। यह रजिस्ट्रेशन सरकार की ओर से अनिवार्य किया गया है। बिना रजिस्ट्रेशन के यात्रा की अनुमति नहीं है। आज हम बात करें चारधाम यात्रा से जुड़ी उन महत्वपूर्ण जानकारियों की जो आपकी यात्रा को आसान बनाएंगी।
चार धाम यात्रा में कौन-कौन से मंदिर हैं?
उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है। यहां के हर एक मंदिर का अपना खास महत्व है। बात करते हैं चारधाम में आने वाले चार मंदिरों की। इनके नाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं। यमुनोत्री मंदिर में यमुना देवी, गंगोत्री मंदिर में गंगा देवी, केदारनाथ में भगवान शिव और बद्रीनाथ में भगरान विष्णु की पूजा की जाती है। बता दें कि ये उत्तराखंड के चार धाम हैं। जबकि भारत के चार धाम में बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम और जगन्नाथपुरी आते हैं।
ऐसे कराए चारधाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन
- चार धाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए उत्तराखंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ ओपन करें।
- यहां सबसे ऊपर ही दाईं तरफ Register/Login का बटन दिया गया है। इस पर क्लिक करें।
- इससे एक नया फॉर्म खुलेगा, जहां आपको मांगी गई सभी जानकारी भरनी होगी। इस तरह आप खुद को साइन अप करवा सकेंगे।
- साइन अप करवाने के बाद आपको आगे की स्टेप्स फॉलो करनी है और रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाएगा।
नोटः सरकार की ओर से चारधाम यात्रा मार्ग पर भी कैंप लगा कर श्रद्धालुओं का हाथोंहाथ रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है।
कब और कहां से शुरू होती है चारधाम यात्रा?
उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में पड़ने वाले चारों मंदिर छह माह के लिए बंद रहते हैं, जबकि छह माह के लिए खुलते हैं। यानी आसान भाषा में कहें तो ये मंदिर सिर्फ छह माह के लिए खुलते हैं। इस बार 22 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। श्रद्धालु सबसे पहले हरिद्वार पहुंचते हैं। यहां गंगास्नान के बाद यात्रा शुरू की जाती है। यात्रा का सबसे पहले पड़ाव यमुनोत्री है। यहां से गंगोत्री, केदारनाथ और फिर बद्रीनाथ पर जाकर यात्रा समाप्त होती है। यह यात्रा कुल 1607 किमी की है।
- यमुनोत्री जाने के लिए दिल्ली से सबसे पहले हरिद्वार पहुचना होगा। इसके बाद ऋषिकेश, चंबा, स्याना चट्टी और हनुमान चट्टी के रास्ते कर यमुनोत्री मंदिर तक पहुंचेगे।
- गंगोत्री मंदिर जाने के लिए दिल्ली से हरिद्वार, ऋषिकेश, टिहरी, उत्तरकाशी, गंगनानी और हरसिल होते हुए गंगोत्री तक पहुंचा जा सकता है।
- केदारनाथ मंदिर जाने करे लिए दिल्ली से सबसे पहले हरिद्वार और फिर गंगास्नान के बाद ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, अगस्तमुनि, गुप्तकाशी और गौरीकुंड होते हुए केदारनाथ मंदिर पहुंचेंगे।
- बद्रीनाथ के लिए दिल्ली से सबसे पहले हरिद्वार फिर ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, जोशीमठ होते हुए बद्रीनाथ मंदिर पहुंचा सकता है।
इस बार गूगल मैप से जानें रास्ते के बारे में
इस बार उत्तराखंड सरकार की ओर से श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा और यात्रा को आसान बनाने के लिए गूगल के साथ एक समझौता किया गया था। उत्तराखंड यातायात विभाग की ओर से हाल ही में गूगल इंडिया की एक टीम के साथ बैठक हुई थी। इसमें यात्रा के मार्ग में डायवर्जन और डायवर्जन के कारण बदले गए मार्गों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। बता दें कि पहाड़ी इलाकों में अचानक भूस्खलन या अन्य प्राकृतिक कारणों से मार्ग बाधित हो जाते हैं। इस वजह से लोगों को परेशानी होती है।
यात्रा के दौरान उत्तराखंड सरकार देती है ये सुविधा
चारधाम यात्रा काफी कठिन यात्रा है, हालांकि इसके लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से कई बड़ी व्यवस्थाएं भी की जाती हैं। इस बार सरकार की ओर से यात्रा मार्ग पर करीब 50 स्थानों पर मेडिकल हेल्थ कैंप क्योस्क लगाए हैं। इन क्योस्क में कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी और पल्मोनरी से संबंधित लगभग सभी महत्वपूर्ण जांचें होंगी। इसके अलावा मार्ग पर यात्री विश्राम पड़ावों पर हेल्थ एटीएम भी लगाए गए हैं। यहां ब्लड ग्लूकोज, ब्लड प्रेशर, इनवेसिव और नॉन-इनवेसिव हार्ट चेकअप के बाद मशीनों से मरीजों को दवाई दी जाएगी। साथ ही टेली-मेडिशिन की भी व्यवस्था है।
चारों धामों का इतिहास जानेंगे श्रद्धालु
उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में पीएम मोदी के निर्देशों के बाद एक खास पहले शुरू की है। योजना के मुताबिक उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि चारों धामों पर हर साल करोड़ो लोग आते हैं। ऐसे में सभी लोगों को इन मंदिरों के इतिहास के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस पहल का उद्देश्य राज्य में लोगों की आजीविका को भी बढ़ाना है।
यात्रा में क्या-क्या साथ ले जाएं सामान
उत्तराखंड की चार धाम यात्रा 1607 किमी की है। इसके अलावा पूरा मार्ग पहाड़ी है, लिहाजा एहतियात बेहद जरूरी है। 16 जून 2013 में केदारनाथ त्रासदी के दौरान सैकड़ों की संख्या में लोगों की मौत हो हुई थी, जहां सैकड़ों लोग लापता हो गए थे। इसी कारण सरकार की ओर से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू की गई है।
- साथ में ले जाना वाला सामान कम से कम हो।
- पहाड़ों पर मौसम सर्द होता है, इसलिए गर्म कपड़े साथ रखें।
- सांस, दिल आदि के सामान्य रोगी अपने साथ डॉक्टर की ओर से सुझाई दवाएं लेकर जाएं।
- अपने साथ मोबाइल चार्ज करने के लिए पावर बैंक जरूर लेकर जाएं।
- अपने साथ अपना पहचान पत्र जरूर रखें। साथ ही एक पर्ची पर अपना और अपने परिचितों का मोबाइल नंबर जरूर लिख कर साथ रखें। हालांकि सरकार ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू की है।
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