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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

CAG रिपोर्ट में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की खामियां उजागर, सपा-बसपा शासनकाल में अरबों का हुआ नुकसान

Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की खामियों को CAG रिपोर्ट में उजागर किया गया है। ऑडिट रिपोर्ट ने बीते शासनकालों की कलई खोलकर रख दी है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बसपा और सपा सरकार के समय प्राधिकरण में नियमों को ताक पर रखकर भूमि आवंटन किए गए।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : praveen vikram Updated: Aug 13, 2025 20:09
Greater Noida Authority
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Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की खामियों को CAG रिपोर्ट में उजागर किया गया है। ऑडिट रिपोर्ट ने बीते शासनकालों की कलई खोलकर रख दी है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बसपा और सपा सरकार के समय प्राधिकरण में नियमों को ताक पर रखकर भूमि आवंटन किए गए। अधिकारियों के मनमाने फैसलों के चलते प्राधिकरण अपने मूल उद्देश्यों से पूरी तरह भटक गया।

औद्योगिक की जगह बसा दी रिहायशी टाउनशिप
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित होने की बजाय ग्रेटर नोएडा को एक रिहायशी टाउनशिप में तब्दील कर दिया गया। वर्ष 2021 की महायोजना को न तो एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की स्वीकृति मिली थी और न ही इसकी अहम शर्त जैसे जनसंख्या घनत्व, हरित क्षेत्र का संरक्षण और कमजोर वर्ग के लिए नियमों का पालन किया गया। बावजूद इसके प्राधिकरण ने इस योजना को लागू कर दिया।

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आंकड़े बताते हैं हकीकत
1991 से 2021 तक कुल 2,580 औद्योगिक भूखंडों का आवंटन किया गया, लेकिन इनमें से केवल 52 फीसदी पर ही उद्योग लग पाए। शेष 48 फीसदी भूखंडों पर न तो उद्योग लगे और न ही किसी तरह की सख्ती बरती गई। 972 आवंटियों को तो नोटिस तक जारी नहीं किए गए। उल्टे भूखंडों की बिक्री को बढ़ावा दिया गया जिससे राजस्व हानि और औद्योगिक विकास दोनों प्रभावित हुए।

विकास से पहले हुआ आवंटन
प्राधिकरण की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए सीएजी रिपोर्ट में कहा गया कि सेक्टर ईकोटेक-11 को विकसित किए बिना ही 193 औद्योगिक भूखंडों का आवंटन कर दिया गया। जब बुनियादी सुविधाएं ही नहीं थी तो उद्योगों की स्थापना कैसे होती? इस वजह से रोजगार और आर्थिक विकास के लक्ष्य अधूरे रह गए।

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बिना मंजूरी बदला गया भू-उपयोग
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2009 और 2011 में प्राधिकरण ने सरकार व एनसीआरपीबी की मंजूरी के बिना ही भू-उपयोग में बड़े बदलाव कर डाले। रिक्रिएशनल (मनोरंजन) जोन को पहले आवासीय और फिर स्पोर्ट्स सिटी में बदल दिया गया। इस जमीन को बिल्डरों को आवंटित कर दिया गया। इसी तरह औद्योगिक जमीन को भी आवासीय में बदला गया, जिससे शहर की औद्योगिक पहचान धूमिल हो गई।

नीतिगत अनदेखी से अरबों का नुकसान
2021 में गरीब और निम्न आय वर्ग के लिए निर्धारित 20 से 25 फीसदी आवास की अनिवार्यता को भी दरकिनार कर दिया गया। इसका सीधा असर सामाजिक संतुलन और शहरी नियोजन पर पड़ा। सीएजी का दावा है कि इस सबके चलते प्राधिकरण को हजारों करोड़ रुपये की सीधी आर्थिक क्षति हुई है।

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First published on: Aug 13, 2025 08:09 PM

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