---विज्ञापन---

UP के कॉलेज स्टूडेंट्स और स्टाफ के लिए काम की खबर; बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम की डेडलाइन खत्म, अब क्या होगा आगे?

UP Govt Deadline For Biometric System in Colleges Ends : उत्तर प्रदेश के सरकारी और एडिड कॉलेजों में बायोमेट्रिक मशीन से हाजिरी का सिस्टम शुरू भी नहीं हो पाया और इसकी डेडलाइन भी खत्म हो गई। अब सरकार ने नई डेडलाइन तय की है।

Edited By : Balraj Singh | Updated: Nov 20, 2023 17:44
Share :

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी और गवर्नमेंट एडिड कॉलेजों से जुड़े लाखों लोगों (स्टूडेंट्स, टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ) के लिए एक बड़ी खबर है। राज्य के शिक्षण संस्थानों में बायोमेट्रिक मशीन से हाजिरी के लिए घोषित राज्य सरकार के प्रोजेक्ट की डेडलाइन खत्म हो गई। हालांकि सरकार ने अब नई डेड लाइन तय करते हुए इस प्रोजेक्ट की वर्किंग को सुचारू करने का निर्देश भी जारी कर दिया है। दूसरी ओर इस व्यवस्था की आलोचना करते हुए राज्य के टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि इसके लागू हो जाने से न सिर्फ कॉलेजों में स्टूडेंट्स की संख्या में और गिरावट आएगी, बल्कि आने वाले वक्त में एडिड कॉलेजों को सीटें भरने के लिए संघर्ष भी करना पड़ेगा।

दरअसल, उत्तर प्रदेश में 172 सरकारी और 331 गवर्नमेंट एडिड डिग्री कॉलेज हैं। राज्य की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने सभी कॉलेजों में स्टूडेंट्स, टीचिंग स्टाफ और नॉन टीचिंग स्टाफ की हाजिरी के लिए बायोमेट्रिक मशीन के जरिये लेने का फैसला लिया था। जरूरी मशीनें लगाए जाने की समय सीमा के बावजूद यह सिस्टम आगे बढ़ता दूर, आज तक किसी भी कॉलेज में शुरू ही नहीं हो पाया है। राज्य के हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के ज्वाइंट डायरेक्टर केसी वर्मा ने इसके लिए कॉलेज प्रबंधनों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है, ‘सरकारी आदेश के बावजूद आज तक किसी भी कॉलेज ने बायोमेट्रिक प्रणाली के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करना शुरू नहीं किया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य है। कॉलेजों को तुरंत बायोमेट्रिक अटेंडेंस शुरू करनी चाहिए। अनुपालन न करने की स्थिति में, प्रिंसिपलों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा’।

---विज्ञापन---

यह भी पढ़ें: केरल-तमिलनाडु सरकार की राज्यपाल के खिलाफ याचिका: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

गवर्नर ने पिछले साल जोड़ा था सैलरी को नए सिस्टम से

ध्यान रहे, बायोमेट्रिक प्रणाली किसी व्यक्ति के फिंगरप्रिंट को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड करती है और जब वह उसी उंगली को मशीन स्कैनर में डालता है तो उस पर तारीख और समय डाल देती है। राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति एवं आनंदीबेन पटेल ने पिछले साल राज्य के विश्वविद्यालयों में बायोमेट्रिक उपस्थिति की प्रथा शुरू करते हुए इसे शिक्षकों और कर्मचारियों के मासिक वेतन से जोड़ा था। इस साल की शुरुआत में राज्य सरकार ने इस प्रणाली को गवर्नमेंट डिग्री कॉलेजों में लागू करने का आदेश दिया था, जबकि एडिड कॉलेजों के लिए यह निर्देश अगस्त में आया था। अब इसके सिरे नहीं चढ़ पाने की वजह से उच्च शिक्षा विभाग इसके लिए कॉलेजों के प्रशासन को जिम्मेदार मान रहा है तो कॉलेजों के स्टाफ की तरफ से भी सरकार के इस फैसले की आलोचना की जा रही है।

---विज्ञापन---

यह भी पढ़ें: तेलंगाना के मोइनाबाद में निर्माणाधीन इंडोर स्टेडियम में धमाके से गिरी दीवारें, 3 की मौत और 10 घायल

स्टूडेंट्स की गिनती में आएगी गिरावट

इस बारे में लखनऊ यूनिवर्सिटी एसोसिएटेड कॉलेजेज टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज पांडेय ने कहा, ‘बायोमेट्रिक उपस्थिति एनईपी के उद्देश्य को विफल कर देगी जो सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) बढ़ाने और शिक्षकों के आंदोलन को प्रतिबंधित करके उन्हें सशक्त बनाने की बात करती है। इसके अलावा, अगर सरकार बायोमेट्रिक उपस्थिति को लेकर इतनी उत्सुक है, तो उन्हें कॉलेजों को मशीनें उपलब्ध करानी चाहिए। कॉलेजों के पास खरीदारी करने के लिए धन नहीं है’। उन्होंने कहा कि बायोमेट्रिक उपस्थिति में छात्रों की संख्या में और गिरावट आएगी बल्कि सहायता प्राप्त कॉलेजों को अपनी सीटें भरने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। इसी के साथ पांडेय ने इस सिस्टम को सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में भी लागू किए जाने की मांग की है।

HISTORY

Written By

Balraj Singh

First published on: Nov 20, 2023 05:28 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें