Supreme court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल सरकार की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने नोटिस जारी कर विधानसभा द्वारा पारित 8 विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर जवाब मांगा है। बता दें ये सभी विधेयक राज्यपाल की सहमति के लिए भेज गए थे लेकिन केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान इसे लेकर निष्क्रिय बने हुए हैं।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार और राज्यपाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी। केरल सरकार की ओर से पूर्व अटाॅर्नी जनरल ऑफ इंडिया केके वेणुगोपाल पक्ष रखते हुए कहा कि करीब 8 विधेयक ऐसे हैं जो कई महीनों से राज्यपाल के लंबित हैं।
Supreme Court notice to Centre on Kerala government's petition against Governor's inaction on pending bills
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---विज्ञापन---— ANI Digital (@ani_digital) November 20, 2023
2 साल से लंबित है 3 विधेयक
बता दें कि केरल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत लंबित विधेयकों के संबंध में उचित आदेश पारित करने का आग्रह करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। वेणुगोपाल ने कहा कि 3 बिल 2 साल से और 2 बिल 1 साल से लंबित हैं।
राज्यपाल का आचरण संविधान के खिलाफ
केरल सरकार ने कहा कि राज्यपाल का आचरण लोगों के अधिकारों को खत्म करने के साथ ही संविधान के बुनियादी नियमों को नष्ट करने वाला है। बता दें कि लंबित विधयेकों में विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक, केरल सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक और सार्वजनिक स्वास्थ्य विधेयक शामिल हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 200 के तहत किसी भी राज्यपाल की जिम्मेदारी होती है कि वह विधायिका द्वारा पारित किसी भी विधेयक को उसके सामने प्रस्तुत होने पर वह घोषणा करेगा वह विधेयक पर सहमति देता है या वह उसे रोक देता है या वह विधेयक को प्रेसिडेंट के पास भेज सकता है। याचिका में कहा गया कि लंबित बिलों को जल्द से जल्द निपटाने का आदेश पारित करें।
तमिलनाडु और केरल सरकार की याचिका पर भी हुई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही तमिलनाडु और पंजाब सरकार की याचिकाओं पर भी सुनवाई की। केरल की तरह तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने विधानसभा से पारित 10 विधेयकों कुछ रोज पहले वापस लौटा दिया था। इसके बाद तमिलनाडु सरकार विधानसभा का सत्र बुलाकर एक बार फिर इन विधेयकों को पारित करा दिया। वहीं उधर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद पंजाब सरकार ने विधानसभा का सत्र बुलाया है।