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Rape Survivors की प्रेग्नेंसी पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मां बनने पर कही बड़ी बात

HC on Rape Survivors: हाईकोर्ट ने रेप विक्टिम्स को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। जिसमें कहा गया कि उनको अबॉर्शन कराने का पूरा कानूनी अधिकार है। जानिए कोर्ट ने और क्या कुछ कहा?

Edited By : Shabnaz | Updated: Feb 13, 2025 08:36
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Allahabad high court on Rape Survivor

HC on Rape Survivors: उत्तर प्रदेश में 17 साल की रेप पीड़िता का अबॉर्शन कराने की अनुमति के लिए याचिका दायर की गई। जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा कि चिकित्सीय गर्भपात अधिनियम की धारा 3(2) यौन शोषण की पीड़िता को गर्भपात कराने का हक देता है। उसपर बच्चे को जन्म देने के लिए जबरदस्ती करने से परेशानी बढ़ेगी। जानिए HC ने इस मामले में और क्या कुछ कहा?

पीड़िता को ‘हां’ या ‘नहीं’ कहने का हक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रेप पीड़िता को अपना अबॉर्शन कराने का कानूनी अधिकार है। पीड़िता को बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर करने से उसका दुख और ज्यादा बढ़ जाएगा। जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने कहा कि महिला को मातृत्व के लिए ‘हां’ या ‘नहीं’ कहने का पूरा अधिकार है। आपको बता दें कि यह अधिकार गर्भपात अधिनियम की धारा 3(2) के तहत दिया जाता है।

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मानसिक परेशानी से जूझ रही पीड़िता

कोर्ट ने 10 फरवरी को इस मामले पर फैसला सुनाया। जिसमें कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़िता को बच्चे की जिम्मेदारी से बांधना ऐसा है जैसा-सम्मान के साथ अपना जीवन जीने के उसके अधिकार से मना करना है। यह याचिका एक नाबालिग लड़की ने दायर की थी, जिसका आरोपी ने कथित तौर पर बहला-फुसलाकर रेप किया था। उसके पिता को जब इसका पता चला तो उन्होंने शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद मेडिकल कराया गया, जिसमें पता चला कि वह तीन महीने और 15 दिन की गर्भवती थी।

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लड़की के वकील ने तर्क दिया कि प्रेग्नेंसी जारी रखने से उसे मानसिक परेशानी हो रही है। साथ ही वह नाबालिग है, जिसकी वजह से वह बच्चे की परवरिश का बोझ नहीं उठाना चाहती है। कोर्ट ने पूरी बात सुनने के बाद कई उदाहरण देते हुए कहा कि पीड़ितों को अपने शरीर के बारे में फैसला लेने का पूरा अधिकार है।

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Shabnaz

First published on: Feb 13, 2025 08:32 AM

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